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शिमला : मुख्यमंत्री सुक्खविंदर सिंह सुक्खू के फर्जी पीएसओ द्वारा कार्यकर्ताओं को फोन करने का मामला उजागर

Dalhousie Hulchul
शिमला
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डलहौज़ी हलचल (शिमला) : हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुक्खविंदर सिंह सुक्खू के निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) बनकर एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा कार्यकर्ताओं को फोन करने का मामला सामने आया है। इस मामले में आरोपित ने खुद को मुख्यमंत्री का पीएसओ बताया और कार्यकर्ताओं के साथ अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया।

आरोपित की धौंस और जांच

आरोपित ने फोन पर मुख्यमंत्री का पीएसओ होने की धौंस जमाई, जिससे कार्यकर्ताओं में असमंजस और नाराजगी फैल गई। जब मुख्यमंत्री के सुरक्षा में तैनात वास्तविक पीएसओ, अभिषेक शर्मा, को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने आरोपित को फोन किया। लेकिन, आरोपी ने उन्हें भी मुख्यमंत्री का पीएसओ बनकर परिचय दिया। यह देखकर अभिषेक शर्मा भी दंग रह गए और उन्होंने तुरंत छोटा शिमला थाना में एफआईआर दर्ज करवाई।

पुलिस की कार्रवाई

शिमला पुलिस ने आरोपित की तलाश शुरू कर दी है और उसकी मोबाइल सीडीआर खंगाली जा रही है। पुलिस ने जल्द आरोपित की गिरफ्तारी का आश्वासन दिया है। पुलिस को दी गई शिकायत में अभिषेक शर्मा ने बताया कि 2 जुलाई को उन्हें कांग्रेस पार्टी के एक कार्यकर्ता का फोन आया, जिसमें बताया गया कि एक व्यक्ति मोबाइल नंबर 98054-00055 से कांग्रेस कार्यकर्ताओं को कॉल कर रहा है और खुद को मुख्यमंत्री सुक्खू का पीएसओ अभिषेक शर्मा बता रहा है।

अपमानजनक भाषा और दावे

आरोपी ने फोन पर अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करते हुए कार्यकर्ताओं पर रौब झाड़ा। एसपी शिमला संजीव गांधी ने रविवार को बताया कि आरोपित के खिलाफ कार्रवाई तेजी से अमल में लाई जा रही है और उसे जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।

फर्जी पहचान और प्राथमिकी

अभिषेक शर्मा ने अपनी शिकायत में बताया कि उन्होंने जब उपरोक्त मोबाइल नंबर पर बात की, तो आरोपित ने दावा किया कि वह मुख्यमंत्री का पीएसओ अभिषेक है और मुख्यमंत्री के गृह विधानसभा क्षेत्र नादौन के गांव बेला का रहने वाला है। आरोपी ने यह भी कहा कि वह पुलिस की चतुर्थ बटालियन जंगल बेरी में तैनात है।

मुख्यमंत्री के पीएसओ अभिषेक शर्मा की शिकायत पर छोटा शिमला थाने में आरोपित के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 204 और 351(2) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस अब आरोपित की गिरफ्तारी के लिए पूरी कोशिश कर रही है और कॉल डिटेल भी खंगाल रही है।

इस घटना ने सुरक्षा व्यवस्था और फर्जीवाड़े के मामलों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, और प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए उचित कदम उठाए हैं।

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