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हिमाचल प्रदेश में स्थापित होंगे 48 मौसम केंद्र, जलवायु जोखिम न्यूनीकरण के लिए एएफडी से 890 करोड़ रुपये की सहायता

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डलहौज़ी हलचल (शिमला) 7 सितंबर 2024: हिमाचल प्रदेश में मौसम संबंधी पूर्व चेतावनियों और जलवायु चुनौतियों से निपटने के प्रयासों को और सुदृढ़ किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की उपस्थिति में शुक्रवार को राज्य सरकार ने भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के अंतर्गत प्रदेश में 48 स्वचालित मौसम केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जो वास्तविक समय के मौसम संबंधी आंकड़ों को उपलब्ध कराएंगे और आपातकालीन स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करेंगे।

कृषि और बागवानी क्षेत्रों को मिलेगा लाभ

यह पहल विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश के कृषि और बागवानी क्षेत्रों के लिए लाभकारी सिद्ध होगी, जहां मौसम की जानकारी की सटीकता अत्यधिक महत्वपूर्ण है। वर्तमान में प्रदेश में आईएमडी द्वारा 22 स्वचालित मौसम केंद्र पहले से ही क्रियाशील हैं, और अब इनकी संख्या बढ़ाकर 48 की जाएगी। इस तंत्र को चरणबद्ध तरीके से खंड स्तर पर भी विस्तारित किया जाएगा, जिससे प्रदेश के हर कोने में मौसम पूर्वानुमान की सटीक जानकारी पहुंच सके।

एएफडी से 890 करोड़ रुपये की सहायता

इसके अतिरिक्त, हिमाचल प्रदेश की विस्तृत आपदा और जलवायु जोखिम न्यूनीकरण परियोजना के लिए फ्रांस की एएफडी (एजेंसी फ्रांसे डेवलपमेंट) से 890 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता प्राप्त होगी। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि इस परियोजना से राज्य में बेहतर आपदा प्रबंधन तंत्र स्थापित किया जाएगा। इसके तहत बुनियादी अधोसंरचना के सुदृढ़ीकरण, प्रशासनिक क्षमता बढ़ाने, और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

प्रारंभिक चेतावनी और आपदा प्रबंधन में सुधार

मुख्यमंत्री ने बताया कि इस परियोजना के तहत हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एचपीएसडीएमए) और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) को मजबूत करने के लिए आवश्यक संसाधनों का उपयोग किया जाएगा। इसके साथ ही, प्राकृतिक आपदाओं के पूर्वानुमान और प्रतिक्रिया के लिए नई प्रणालियाँ विकसित की जाएंगी। इसके अंतर्गत नये अग्निशमन केंद्र स्थापित किए जाएंगे और मौजूदा केंद्रों का उन्नयन किया जाएगा।

भूकम्परोधी अधोसंरचना और संचार सुविधा में सुधार

मुख्यमंत्री सुक्खू ने यह भी बताया कि प्रदेश में भू-स्खलन की घटनाओं को कम करने के लिए बायो-इंजीनियरिंग नर्सरीज़ तैयार की जाएंगी और भूकम्परोधी अधोसंरचना का निर्माण किया जाएगा। संचार सुविधा को और बेहतर बनाने के लिए उन्नत उपग्रह प्रणाली का उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा, द्विपक्षीय समझौते के अंतर्गत फ्रांस से तकनीकी सहायता भी प्राप्त होगी, जिससे आपदा प्रबंधन के प्रयासों को और मजबूती मिलेगी।

हेलीपैड और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल

आपदा प्रबंधन को और अधिक कुशल बनाने के लिए प्रदेश में हेलीपैड का निर्माण किया जाएगा। साथ ही, एक राज्य आपदा प्रबंधन संस्थान की स्थापना और एक नई राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल कंपनी का गठन भी किया जाएगा।

बैठक में प्रमुख हस्तियां शामिल

इस अवसर पर राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी, कांग्रेस नेता सतपाल रायजादा, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार चंद शर्मा, महाधिवक्ता अनूप रतन, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर, योजना सलाहकार बसू सूद, विशेष सचिव डीसी राणा, और एएफडी से अब्रासार्ट थेरेसा, कैमिले सेवरेक, पौलिन जौर्जस और ज्योति विजयन नैयर उपस्थित थे।