डलहौज़ी हलचल (शिलाई): हिमाचल प्रदेश के शिलाई क्षेत्र के कांडों भटनोल गांव में एक मां ने अपनी जान की परवाह किए बिना अपने तीन वर्षीय मासूम बेटे की जिंदगी बचाई। 28 वर्षीय अनु ने रंगड़ों के हमले से अपने बच्चे को बचाने के लिए खुद को ढाल बना लिया, लेकिन इस दौरान वह गंभीर रूप से घायल हो गईं और उनकी मौत हो गई।
शनिवार को अनु अपने तीन वर्षीय बेटे के साथ घास काटने गई थीं। अचानक रंगड़ों के झुंड ने उनके बेटे पर हमला कर दिया। अपनी ममता का परिचय देते हुए अनु ने तुरंत अपने सिर का ढाटू (कपड़ा) उतारकर बच्चे के सिर को ढक दिया और उसे अपनी बाहों में कसकर लपेट लिया।
रंगड़ों का हमला अनु पर केंद्रित हो गया, और वह बुरी तरह से घायल हो गईं। बच्चे और मां की चीखें सुनकर स्थानीय ग्रामीण चतर सिंह मौके पर पहुंचे और दोनों को घायल अवस्था में शिलाई अस्पताल पहुंचाया।
महिला की मौत, बच्चे की हालत स्थिर
डॉक्टरों ने दोनों की गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें तुरंत सिविल अस्पताल पांवटा साहिब रेफर किया। दुर्भाग्यवश, पांवटा साहिब ले जाते समय रास्ते में अनु ने दम तोड़ दिया। वहीं, बच्चे को पांवटा साहिब से नाहन मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया, जहां उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
गांव में शोक की लहर
कांडों भटनोल पंचायत की प्रधान सरिता शर्मा ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि महिला की जान रंगड़ों के हमले में चली गई है। इस घटना से पूरा गांव स्तब्ध है। लोगों ने अनु की ममता और बहादुरी को सलाम किया, जिसने अपने बच्चे को बचाने के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी। स्थानीय प्रशासन ने घटना पर दुख व्यक्त किया और पीड़ित परिवार को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। समाज के लोग अनु के इस बलिदान को कभी नहीं भूल पाएंगे, जो मां की ममता और त्याग का एक अविस्मरणीय उदाहरण बन गया है।