डलहौज़ी हलचल (अशोक चौहडिया) बनीखेत : स्थानीय निरंकारी सत्संग भवन में आज आयोजित साप्ताहिक सत्संग में एक विशेष आध्यात्मिक वातावरण देखने को मिला। सत्संग के मुख्य वक्ता महात्मा अनिल गुप्ता जी ने अपने प्रवचनों के माध्यम से श्रोताओं को परमात्मा की महिमा और मानव जीवन में उसके महत्व के बारे में प्रेरित किया।
प्रवचनों के मुख्य अंश
महात्मा अनिल गुप्ता जी ने कहा:
“परमात्मा जानने योग्य है। जब हम इसे अपने जीवन का आधार बनाते हैं, तो सहज ही हमारे जीवन में मानवीय गुणों का विस्तार होने लगता है। यह आत्मा से असीम की ओर एक दिव्य यात्रा है, जो हमारे मन और मस्तिष्क के बीच संतुलन स्थापित करती है।”
उन्होंने कहा कि तनाव और द्वंद से मुक्त होने के लिए परमात्मा से जुड़ना आवश्यक है।
“परमात्मा से जुड़ने पर मन स्थिर और विशाल हो जाता है, और हम अपनत्व एवं मानवता के प्रति समर्पित हो जाते हैं।”
77वें वार्षिक संत समागम की प्रेरणा
अनिल गुप्ता जी ने निरंकारी मिशन के “असीम की ओर-विस्तार” विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह यात्रा केवल बाहरी नहीं है, बल्कि आत्मा की आंतरिक गहराइयों से जुड़ी है।
“संतों और पीरों ने सदियों से यही सिखाया है कि हमें मानवता की सेवा में अपने जीवन को लगाना चाहिए। परमात्मा द्वारा दी गई चीजों और मनुष्य के आविष्कारों का सदुपयोग करके इस धरा को और सुंदर बनाना ही हमारा उद्देश्य होना चाहिए।”
भजन, प्रवचन और कविता की महफिल
सत्संग में मिशन के अन्य अनुयायियों ने भी हिस्सा लिया और अपने भजनों, कविताओं, और प्रवचनों से समागम को सरस और प्रेरणादायक बनाया।
- महात्मा संजीव जी, प्रीतम जी, राज जी, जय जी, तनवी जी, और प्रतिमा जी ने भजनों और कविताओं के माध्यम से कण-कण में व्याप्त निराकार सत्ता का गुणगान किया।
समाज में आध्यात्मिकता का संदेश
सत्संग में सौहार्द और भाईचारे की दिव्य झलक देखने को मिली। उपस्थित श्रोताओं ने मिशन के संदेश को आत्मसात करते हुए मानवता की सेवा और जीवन में सकारात्मक बदलाव का संकल्प लिया।
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