डलहौज़ी हलचल (संगडाह ) विजय आजाद : सिरमौर जिले के हिमाचल प्रदेश में स्थित संगड़ाह में भाट ब्राह्मण कल्याण समिति की संगड़ाह इकाई की एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय हाटी समिति के अध्यक्ष डॉ. अमित चंद कमल ने की। इस बैठक में संगड़ाह तहसील से लगभग चार दर्जन भाट ब्राह्मण समुदाय के सदस्यों ने हिस्सा लिया और हाटी समुदाय के लिए अनुसूचित जनजाति का दर्जा पाने के मुद्दे पर चर्चा की।
हिमाचल प्रदेश के गिरी पार क्षेत्र के हाटी समुदाय की बड़ी मांग
बैठक के दौरान, डॉ. अमित चंद कमल ने बताया कि उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, हाटीपुत्र बलदेव तोमर, सांसद सुरेश कश्यप, केंद्रीय जनजातीय मंत्री जूएल ओराम और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के गिरी पार क्षेत्र में रहने वाले हाटी समुदाय के अनुसूचित जनजाति का दर्जा पाने की मांग को लेकर अपनी बात रखी और इस मामले में उच्च न्यायालय में शीघ्र प्रतिक्रिया देने का आग्रह किया।
पूर्व मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं से मुलाकात: भाट ब्राह्मण समुदाय की आवाज़
डॉ. अमित चंद कमल ने जोर देकर कहा कि सरकार की ओर से उचित कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि न्यायालय द्वारा इस समुदाय के लोगों को अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र जारी करने पर लगी रोक को हटाया जा सके। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ तत्व भाट ब्राह्मण समुदाय के सदस्यों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा पाने के लाभों से गुमराह कर रहे हैं।
अनुसूचित जनजाति का दर्जा: भाट ब्राह्मण समुदाय के लिए क्यों महत्वपूर्ण?
इस बैठक में यह भी चर्चा हुई कि ओबीसी वर्ग के मुकाबले अनुसूचित जनजाति में शामिल होने से भाट ब्राह्मण समुदाय को दीर्घकालिक लाभ मिलेंगे। यह दर्जा उन्हें शिक्षा, रोजगार, और अन्य सरकारी योजनाओं में विशेष लाभ प्रदान करेगा।
भाट ब्राह्मण कल्याण समिति का गठन: नए नेतृत्व के साथ नई उम्मीदें
बैठक में संगड़ाह भाट कल्याण समिति का गठन किया गया, जिसमें सुनील शर्मा को अध्यक्ष, चंद्रसेन शर्मा को उपाध्यक्ष, रवि दत्त भारद्वाज को महासचिव, यशपाल शर्मा को सहसचिव, ईश्वर चंद्र शर्मा को कोषाध्यक्ष और सोम प्रकाश शर्मा और देवी राम शर्मा को सलाहकार चुना गया। इसके अलावा, अन्य सदस्य भी कार्यकारिणी में शामिल किए गए।
भाट ब्राह्मण समुदाय के सदस्य जागरूकता अभियान की तैयारी में
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि भाट ब्राह्मण समुदाय के सदस्य गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक करेंगे। मेलाराम शर्मा ने कहा कि ओबीसी वर्ग के मुकाबले अनुसूचित जनजाति में शामिल होने से समुदाय को दीर्घकालिक लाभ मिलेंगे।
अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र पर लगी रोक: क्या होगा अगला कदम?
केंद्र सरकार से उच्च न्यायालय में शीघ्र प्रतिक्रिया भेजने की अपील की गई है, ताकि हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिल सके। इस मुद्दे पर 20 अगस्त को उच्च न्यायालय में सुनवाई होनी है, जिसमें भाट ब्राह्मण कल्याण समिति ने भी अपनी याचिका दायर की है।