डलहौज़ी हलचल (मंडी) प्रकाश चंद शर्मा : जोनल हॉस्पिटल मंडी में मरीजों की सेवा के लिए लाईं गईं बाइक एम्बुलेंस अब खड़े-खड़े खराब हो रही हैं। जिन एम्बुलेंस को दुर्गम इलाकों में मरीज़ों तक पहुंचने के लिए खरीदा गया था, वे अब अपनी दुर्दशा के कारण खुद मरम्मत की मांग कर रही हैं।
प्रशासन की अनदेखी बनी चर्चा का विषय
हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य में बाइक एम्बुलेंस का महत्व काफी अधिक है। ये दुर्गम क्षेत्रों में बड़ी गाड़ियों के न पहुंच पाने की स्थिति में मरीज़ों को मुख्य मार्ग या अस्पताल तक पहुंचाने के लिए कारगर साबित हो सकती हैं। लेकिन मंडी के जोनल हॉस्पिटल में खड़ी ये एम्बुलेंस, प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन की अनदेखी के चलते उपयोग के लायक नहीं बची हैं।
न्यू लाइफ लाइन संस्था ने उठाई आवाज
इस मामले को न्यू लाइफ लाइन संस्था ने सोशल मीडिया पर उठाया। संस्था के संस्थापक डॉ. आनंद कागरा ने एक वीडियो बनाकर प्रशासन पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा,
“अगर प्रशासन इन बाइक एम्बुलेंस का उपयोग करने में असमर्थ है, तो इन्हें हमारी संस्था को सौंप दें। हम इन्हें दुर्गम इलाकों में मरीजों की सेवा के लिए इस्तेमाल करेंगे।”
जनता के पैसे का दुरुपयोग
स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया पर वीडियो देखने वाले लोगों का कहना है कि यह जनता के पैसे का खुला दुरुपयोग है। सरकार ने जो सुविधा जनता के लिए उपलब्ध कराई थी, वह अब सिर्फ दिखावा बनकर रह गई है।
हिमाचल में बाइक एम्बुलेंस की जरूरत
हिमाचल प्रदेश में कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां सड़कें या तो बेहद संकरी हैं या वहां तक पहुंचना मुश्किल है। ऐसे में बाइक एम्बुलेंस जीवनरक्षक साबित हो सकती हैं। लेकिन जब इन सुविधाओं का सही तरीके से इस्तेमाल न हो, तो यह सरकार और प्रशासन की नाकामी को उजागर करता है।
संस्था ने पेश किया समाधान
डॉ. आनंद कागरा ने यह भी कहा कि उनकी संस्था इन एम्बुलेंस का उपयोग करने के लिए तैयार है।
“हम इन बाइक एम्बुलेंस का उपयोग दुर्गम इलाकों में आम जनता की सेवा के लिए करेंगे। अगर सरकार इन्हें दान करती है, तो हम इन्हें चलाने का जिम्मा संभालने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।”
प्रशासन की जिम्मेदारी
यह मामला चर्चा का विषय बन गया है। अब देखना होगा कि हिमाचल प्रदेश का प्रशासन इन एम्बुलेंस के रखरखाव और उपयोग के लिए क्या कदम उठाता है।