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सिरमौर प्रेस क्लब चुनाव को लेकर विवाद गहराया, प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल

Dalhousie Hulchul

डलहौज़ी हलचल (नाहन) : सिरमौर प्रेस क्लब के चुनाव को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। शनिवार को एसडीएम नाहन के निर्देशों को दरकिनार कर कुछ पत्रकारों के तथाकथित समूह द्वारा अवैध रूप से चुनाव संपन्न करवा दिया गया। इस चुनाव में बाहरी पत्रकारों की मौजूदगी पर भी सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, अध्यक्ष पद के लिए राकेश नंदन और महासचिव पद के लिए प्रताप सिंह ने नामांकन दाखिल किया था, लेकिन इसके बावजूद कार्यकारिणी को सर्वसम्मति से चुने जाने का दावा किया गया, जिससे चुनाव की प्रक्रिया संदेह के घेरे में आ गई है।

चुनाव को लेकर पत्रकारों के बीच असंतोष साफ नजर आ रहा है, खासकर जब राज्य स्तर पर फर्जी पत्रकारों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस पूरे मामले में क्या रुख अपनाता है और क्या कोई ठोस कार्रवाई की जाती है।

फर्जी पत्रकारों की बढ़ती संख्या बनी चिंता का विषय

सिरमौर में फर्जी पत्रकारों की संख्या तेजी से बढ़ने से पत्रकारिता की साख पर सवाल खड़े हो रहे हैं। कुछ सोशल मीडिया पर सक्रिय तथाकथित पत्रकारों ने अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए गलत हथकंडे अपनाए हैं, जिससे असली पत्रकारों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

इस संदर्भ में सिरमौर के उपायुक्त सुमित खिमटा को दो फरवरी को लिखित रूप में पूरे मामले से अवगत कराया गया था, लेकिन बीस फरवरी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। हैरानी की बात यह है कि चुनाव वे लोग करवा रहे थे, जिनका पत्रकारिता से कोई संबंध नहीं है, इसके बावजूद प्रशासन ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी

अध्यक्ष शैलेंद्र कालरा ने जताया कड़ा ऐतराज

अध्यक्ष शैलेंद्र कालरा ने इस पूरे घटनाक्रम पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि महज एक वेबसाइट खोलकर या सोशल मीडिया पेज बनाकर खुद को पत्रकार घोषित करना चिंता का विषय हैएसडीएम के निर्देशों की अवहेलना यह दर्शाती है कि निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए नियमों को दरकिनार किया जा रहा है

गौरतलब है कि हाल ही में हिमाचल प्रदेश सरकार ने सचिवालय में सोशल मीडिया पेज और वेब पोर्टल के आधार पर खुद को पत्रकार बताने वालों पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब यह नियम राज्य स्तर पर लागू हो सकता है, तो जिलों में इसे प्रभावी करने में प्रशासनिक उदासीनता क्यों बरती जा रही है?

इसके अलावा, चुनाव से पहले पूरी जांच होने का इंतजार क्यों नहीं किया गया? यही सवाल सभी को खटक रहा है और इसे लेकर असली पत्रकारों में रोष बढ़ता जा रहा है।

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है।