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हिमकेयर योजना बंद होने पर डलहौजी के विधायक डी एस ठाकुर का कड़ा विरोध

Dalhousie Hulchul
डी एस ठाकुर

डलहौज़ी हलचल (डलहौजी) 31 जुलाई 2024 – डलहौजी के विधायक डी एस ठाकुर ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा हिमकेयर योजना को बंद करने के फैसले की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इसे गरीब जनता के साथ “खिलवाड़” और “धोखा” करार दिया है। अपने प्रेस बयान में, ठाकुर ने जोर देकर कहा कि पूर्व की जयराम ठाकुर सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना ने गरीब जनता को महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की थीं।

हिमकेयर योजना की अहमियत

हिमकेयर योजना के तहत, प्रदेश की गरीब जनता को निजी अस्पतालों में 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य लाभ मिल रहा था। इस योजना ने स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित लोगों को बेहतर इलाज का अवसर दिया था। ठाकुर ने बताया कि इस योजना के माध्यम से गरीब जनता को काफी सहूलियत मिल रही थी और इसका लाभ उन्हें निजी अस्पतालों में इलाज के दौरान मिल रहा था।

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डलहौज़ी हलचल (डलहौजी) 31 जुलाई 2024 – डलहौजी के विधायक डी एस ठाकुर ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा हिमकेयर योजना को बंद करने के फैसले की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इसे गरीब जनता के साथ “खिलवाड़” और “धोखा” करार दिया है। अपने प्रेस बयान में, ठाकुर ने जोर देकर कहा कि पूर्व की जयराम ठाकुर सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना ने गरीब जनता को महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की थीं।हिमकेयर योजना की अहमियतयोजना बंद होने से उत्पन्न संकटपुनर्विचार की मांगयह विवाद अब प्रदेश में एक बड़ा मुद्दा बन गया है, और कांग्रेस सरकार पर इस फैसले को लेकर बढ़ते दबाव के बीच, क्या वह इस पर पुनर्विचार करेगी, यह देखना बाकी है।

योजना बंद होने से उत्पन्न संकट

डी एस ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने सभी निजी अस्पतालों को इस योजना से बाहर कर दिया है, जिससे गरीब जनता को इलाज में कठिनाई हो रही है। उन्होंने इसे जनता के साथ अन्याय बताया और कहा कि सरकार को गरीब जनता की मदद करने के बजाय उनका सहारा छीनने का काम कर रही है।

पुनर्विचार की मांग

विधायक डी एस ठाकुर ने सरकार से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग की है, ताकि गरीब जनता को हिमकेयर योजना के लाभ से वंचित न होना पड़े। उन्होंने कहा कि सरकार को जनता की जरूरतों और उनके हितों को ध्यान में रखकर फैसले लेने चाहिए।

यह विवाद अब प्रदेश में एक बड़ा मुद्दा बन गया है, और कांग्रेस सरकार पर इस फैसले को लेकर बढ़ते दबाव के बीच, क्या वह इस पर पुनर्विचार करेगी, यह देखना बाकी है।

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