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हिमाचल प्रदेश संयुक्त पटवारी एवं कानूगो महासंघ की डलहौज़ी इकाई  ने मुख्यमंत्री  एवं सरकार को भेजा ज्ञापन

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डलहौज़ी हलचल (डलहौज़ी) : हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा जो विभिन्न कार्यों को पटवारी और कानूनगो द्वारा समयबद्ध करने के आदेश जारी किए गए हैं उनसे हिमाचल प्रदेश संयुक्त पटवारी एवं कानूगो महासंघ बिल्कुल भी सहमत नहीं है । इस  पर अपना रोष व्यक्त करते हुए महासंघ की डलहौज़ी  इकाई द्वारा एक ज्ञापन एसडीएम डल्हौजी अनिल भारद्वाज के माध्यम से मुख्यमंत्री  एवं सरकार को भेजा गया है ।

जानकारी देते हुए महासंघ अध्यक्ष मुकेश कुमार एवं महासचिव गजेंद्र पठानिया  ने कहा कि प्रदेश में पटवारी से लेकर तहसीलदार  तक विभिन्न पद रिक्त पड़े हैं । साथ ही पटवारीयों को रोजाना विभिन्न प्रमाण पत्रों, सूचनाओं, प्रधानमंत्री किसान योजना ,स्वामित्व योजना सहित कई योजनाओं को तैयार करना होता है । वहीँ  1100 नंबर मुख्यमंत्री संकल्प शिकायत विवरणी के निपटारे ,राहत कार्य ,फसल गिरदावरी ,निर्वाचन कार्य, लोक निर्माण , वन,खनन और उद्योग विभागों आदि की अनेकों परियोजनाओं के मौका कार्य एवं संयुक्त निरीक्षण के अलावा इंतकाल दर्ज करने होते हैं ।  उच्च अधिकारियों व माननीयों के भ्रमण में हाजिर होना ,विभिन्न न्यायालयों में पेशियां व रिकार्ड पेश करने के कार्य, कृषि गणना ,लघु सिंचाई गणना, धारा 163 के तहत मिसल कब्जा अधिकार करना, जमाबंदी की नकलें सत्यापित करना, व जो रिकॉर्ड वर्ष 2000 से पहले का कंप्यूटरीकृत नहीं हुआ उसे लिखित से तैयार करना, मौके पर ततीमा बनाना, टीआरएस गिरदावरी करना ,आरएमएस पोर्टल अपडेट करना, भूमि विक्रय हेतु प्रमाण पत्र, बीपीएल सर्वेक्षण कार्य ,आरटीआई से संबंधित सूचना तैयार करना ,धारा 118 की रिपोर्ट बनाना, बैंक के लोन संबंधित रिपोर्ट तैयार करना, कुर्की संबंधित रिपोर्ट बनाना ,प्रतिदिन जीडीएस ,मेघ ,मेघचार्ज क्रिएशन, मंदिर व मेला ड्यूटी सहित और भी विभिन्न कार्य करने एवं सूचनाएं तैयार करनी पड़ती हैं । जिसमें ही सारा समय व्यतीत हो जाता है । माह के अंत में प्रोग्रेस निशान देही व तक्सीम आदि की भी मांग की जाती है जबकि प्रदेश में पटवारी व कानूनगो को हफ्ते में तीन दिन कार्यालय में जरूरी तौर पर बैठने ,फसल ,घास व वर्षा के समय के बाद तीन-चार महीने ही फील्ड संबंधी कार्य करने को मिलते हैं ।

एक कानूनगो ज्यादा से ज्यादा पांच सात निशान देही के मामले ही एक माह में निपटा सकता है जबकि उसके पास ऐसे हर माह 30 40 मामले आ जाते हैं ऐसे में सरकार द्वारा तय की गई समय सीमा में काम कैसे होगा इस पर सरकार पुनर्विचार करें और महासंघ ने सरकार से आग्रह किया है कि पटवारी और कानूनगो एक महीने में कौन-कौन से काम कितनी मात्रा में करेंगे इस बारे में भी एक बिल प्रदेश सरकार जरूर लाए ।महासंघ ने मांग की है कि संशोधित बिल को लागू करने से पहले एक बार राज्य कार्यकारिणी के साथ बैठक सरकार जरूर करें और कार्यकारी से चर्चा किए बिना अगर सरकार ने इस बिल को थोपने की कोशिश की तो महासंघ किसी भी प्रकार का आंदोलन करने पर विवश होगा।