डलहौज़ी हलचल (शिमला) : हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में शिक्षा के स्तर पर नेशनल अचीवमेंट सर्वे के परिणामों ने चिंताजनक स्थिति को उजागर किया है। शिक्षा के स्तर में लगातार गिरावट आ रही है, और इसे सुधारने के लिए राज्य सरकार ने स्कूलों के मर्जर (विलय) की नीति पर विचार करना शुरू कर दिया है। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने इस बारे में संकेत दिए हैं कि जिन स्कूलों में छात्रों की संख्या कम है, उन्हें मर्ज किया जा सकता है।
मर्जर की नीति
शिक्षा निदेशालय ने फैसला किया है कि जिन हाई और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में शिक्षकों की संख्या छात्रों से ज्यादा है, वहां मर्जर की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। खासतौर पर, जिन स्कूलों में छठी से दसवीं कक्षा तक बच्चों की संख्या 20 या उससे कम है, उन्हें मिडिल स्कूलों के साथ मर्ज किया जाएगा। इसके अलावा, वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों (सीनियर सेकेंडरी) में यदि छात्रों की संख्या 25 से कम है, तो उन्हें हाई स्कूल तक ही रखा जाएगा।
शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया
शिक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग (Himachal Pradesh Staff Selection Commission) का पुनर्गठन किया जा चुका है और इसके सदस्यों की नियुक्ति भी हो चुकी है। अब राज्य में विभिन्न कैटेगरी के 2800 पदों को भरने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। इसमें TGT, JBT और अन्य शिक्षकों की भर्ती भी शामिल होगी। खासतौर पर, सिंगल टीचर वाले स्कूलों में नए शिक्षकों की नियुक्ति पहले ही की जा चुकी है।
स्कूलों में छात्र संख्या में गिरावट
हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में पिछले 20 वर्षों में स्कूली छात्रों की संख्या में कमी आई है। आंकड़ों के अनुसार, मिडिल, प्राइमरी, और हाई स्कूलों में करीब 5 लाख छात्रों की संख्या घटी है। यह कमी राज्य के लिए एक गंभीर मुद्दा है, और सरकार इसे सुधारने के लिए ठोस कदम उठा रही है।
स्कूल की छुट्टियों में संभावित बदलाव
मानसून के मौसम को ध्यान में रखते हुए स्कूलों की छुट्टियों में बदलाव पर भी विचार किया जा रहा है। शिक्षा मंत्री ने बताया कि हर साल बरसात के समय स्कूलों की छुट्टियों का मुद्दा सामने आता है। इसलिए, स्कूलों की छुट्टियों की शुरुआत 1 जुलाई से करने पर विचार हो रहा है। इसके साथ ही, खेलकूद गतिविधियों का भी पूरे साल एक निर्धारित शेड्यूल तैयार किया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए राज्य सरकार सक्रिय कदम उठा रही है। छात्र संख्या में गिरावट, शिक्षकों की नियुक्ति, और स्कूलों के मर्जर के साथ-साथ छुट्टियों के शेड्यूल में बदलाव जैसे कदम उठाए जा रहे हैं, जिससे प्रदेश में शिक्षा का स्तर सुधर सके।