डलहौज़ी हलचल (शिमला) : मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने घोषणा की है कि किन्नौर जिले में शोंगटोंग-कड़छम जल विद्युत परियोजना के लिए केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वन संरक्षण अधिनियम चरण-2 के तहत लगभग 85 बीघा जमीन के उपयोग की स्वीकृति प्रदान कर दी है। यह स्वीकृति राज्य सरकार के निरंतर प्रयासों का परिणाम है और इसे प्राप्त करना राज्य सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता है।
परियोजना की लंबित स्थिति और स्वीकृति प्रक्रिया
यह स्वीकृति केंद्र सरकार के पास वर्ष 2018 से लंबित थी, लेकिन प्रदेश सरकार ने इसे प्राप्त करने के लिए कड़े प्रयास किए। केंद्र सरकार द्वारा परियोजना के प्रथम चरण की स्वीकृति 19 मार्च, 2024 को प्रदान की गई थी। इसके बाद, राज्य सरकार ने आवश्यक नियमों और शर्तों की अनुपालना रिपोर्ट प्रस्तुत की और केंद्र सरकार से अंतिम स्वीकृति प्राप्त करने के लिए आग्रह किया।

परियोजना का महत्व और निर्माण प्रगति
450 मेगावाट की शोंगटोंग-कड़छम जल विद्युत परियोजना का निर्माण कार्य 2012 में शुरू हुआ था, और इसे नवंबर 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है। इस परियोजना के लिए एक ट्रांसमिशन लाइन बिछाई जा रही है, और ट्रांसमिशन की निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी गई है ताकि प्रदेश सरकार को कोई वित्तीय नुकसान न हो।
राज्य की ऊर्जा नीति और आर्थिक महत्व
मुख्यमंत्री ने जल विद्युत और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के महत्व पर जोर दिया, जो राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विभिन्न पहलों से प्रदेश में हरित उद्योग को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रही है, ताकि यह राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे सके। शोंगटोंग-कड़छम जल विद्युत परियोजना राज्य की विद्युत उत्पादन क्षमता को बढ़ाएगी और राज्य की आर्थिकी को सुदृढ़ करने में अहम भूमिका निभाएगी।