डलहौज़ी हलचल (शिमला) : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा, ऊना, शिमला, मंडी और कुल्लू जिलों में 19 स्थानों पर छापेमारी की है। यह छापेमारी मुख्य रूप से फर्जी आयुष्मान भारत आईडी कार्ड बनाने और कई निजी अस्पतालों के खिलाफ योजना के उल्लंघन से संबंधित मामलों में की गई है। फर्जी कार्डों का उपयोग कर कई मेडिकल बिल बनाए गए हैं, जिससे सरकारी खजाने और जनता को आर्थिक नुकसान हुआ है।
ईडी की छापेमारी में हिमाचल प्रदेश के नगरोटा से कांग्रेस विधायक और पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष आरएस बाली और पूर्व में देहरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी रहे डॉ. राजेश शर्मा का नाम भी सामने आया है। दोनों नेताओं के परिसरों की भी तलाशी ली जा रही है। कांगड़ा जिले में कांग्रेस के दो नेताओं के ठिकानों पर ईडी की दबिश से हड़कंप मच गया है।
गौरतलब है कि डॉ. राजेश शर्मा ने 2022 में देहरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था। दूसरी ओर, आरएस बाली ने नगरोटा बगवां से चुनाव जीता है। आरएस बाली के दिवंगत पिता, जीएस बाली, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता थे और हिमाचल प्रदेश की राजनीति में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। हाल ही में, डॉ. राजेश शर्मा ने देहरा उपचुनाव में कांग्रेस का टिकट न मिलने पर बागी रुख अपना लिया था, लेकिन बाद में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने उन्हें मना लिया। उनकी पत्नी, कमलेश ठाकुर, ने इस क्षेत्र से चुनाव जीता था।
ईडी की टीम की कार्रवाई
लगभग 40 गाड़ियों में ईडी की टीम ने विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की है। ऊना जिले में धर्मशाला-चंडीगढ़ सड़क मार्ग पर रक्कड़ कॉलोनी क्षेत्र में स्थित श्री बांके बिहारी हेल्थकेयर अस्पताल में भी छापेमारी की गई है। इस अस्पताल के खिलाफ आयुष्मान कार्ड से जुड़े घोटाले के आरोप लगे हैं, और ऊना के विजिलेंस थाने में मामला दर्ज किया गया है। मुख्य आरोपी नंगल निवासी किरण सोनी नाम की महिला है, और उसकी नंगल स्थित घर पर भी छापेमारी की गई है। वर्तमान में आरोपी महिला एक अन्य निजी अस्पताल में कार्यरत है।
कुल्लू और अन्य जिलों में छापेमारी
कुल्लू जिला मुख्यालय में भी एक निजी अस्पताल पर ईडी ने दबिश दी है। यहां अस्पताल का रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है। इसके अलावा, मंडी, शिमला और कांगड़ा जिलों में भी छापेमारी की गई है। ईडी की इस कार्रवाई से पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया है।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने हाल ही में प्राइवेट अस्पतालों में हिम केयर कार्ड के तहत निशुल्क उपचार पर रोक लगाने और इसमें सुधार करने का निर्णय लिया था। यह संभव है कि सरकार को पहले से ही गड़बड़ियों का अंदेशा हो गया था, जिसके कारण यह कदम उठाया गया।