डलहौज़ी हलचल (शिमला): हिमाचल प्रदेश सरकार, जो पहले ही 90 हजार करोड़ के कर्ज के बोझ तले दबी हुई है, अब अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए जनता की जेब से पैसा निकालने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई में बनी कांग्रेस सरकार ने चुनावी वादे के बावजूद बिजली की दरों में बढ़ोतरी का निर्णय लिया है। 300 यूनिट से ज्यादा बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को अक्टूबर से बढ़े हुए टैरिफ का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि सरकार ने इस सीमा से अधिक खपत पर दी जाने वाली सब्सिडी को खत्म करने का फैसला लिया है।
क्या है बिजली की नई दरें?
वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के उपभोक्ताओं को 300 यूनिट से ज्यादा बिजली की खपत पर 5.22 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलती है, जिसमें 1.03 रुपये प्रति यूनिट की सब्सिडी शामिल होती है। लेकिन अक्टूबर से यह सब्सिडी समाप्त कर दी जाएगी, जिससे बिजली की नई दर 6.25 रुपये प्रति यूनिट हो जाएगी। यानी, जिन उपभोक्ताओं की मासिक खपत 300 यूनिट से अधिक होगी, उन्हें अब महंगे बिजली बिल का सामना करना पड़ेगा।
बिजली की खपत पर नियंत्रण जरूरी
अगर उपभोक्ता महंगाई की इस मार से बचना चाहते हैं, तो उन्हें बिजली की खपत पर नियंत्रण रखना होगा। 300 यूनिट से अधिक खपत करने वाले घरेलू उपभोक्ताओं की संख्या प्रदेश में 92 हजार से ज्यादा है। ऐसे में इन उपभोक्ताओं के लिए अब यह महत्वपूर्ण हो गया है कि वे अपने मासिक बिजली उपयोग को 300 यूनिट तक सीमित रखें, ताकि बढ़ी हुई दरों से बच सकें।
आर्थिक संकट से जूझ रही सरकार
सरकार का यह फैसला उसकी खराब आर्थिक स्थिति के कारण लिया गया है। हिमाचल प्रदेश पहले से ही ऊर्जा उत्पादक राज्य होने के बावजूद अपने उपभोक्ताओं को महंगी बिजली देने के लिए मजबूर हो गया है। कांग्रेस सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले 300 यूनिट फ्री बिजली देने का वादा किया था, लेकिन वर्तमान वित्तीय हालातों को देखते हुए सरकार ने 300 यूनिट से अधिक खपत पर सब्सिडी हटाने का निर्णय लिया है।
उलेखनीय है की अक्टूबर से लागू होने वाले इस फैसले का सीधा असर राज्य के हजारों उपभोक्ताओं पर पड़ेगा, जिन्हें अब बिजली के लिए अधिक भुगतान करना पड़ेगा। इस कदम से हिमाचल प्रदेश सरकार अपनी वित्तीय स्थिति को सुधारने की कोशिश कर रही है, लेकिन इसका भार आम जनता पर पड़ेगा।