Gold Price Alert: 6 कारण क्यों अब थम सकती है सोने की रफ्तार – निवेश से पहले ज़रूर पढ़ें!

डलहौज़ी हलचल : मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज (MOFSL) की हालिया रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि सोने की मौजूदा तेजी अब रुक सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में जिन कारणों से सोने की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया, वे लगभग पूरी तरह कीमतों में समाहित हो चुके हैं।

छह साल में तीन गुना महंगा हुआ सोना

2019 में जहां सोने की कीमत ₹30,000 प्रति 10 ग्राम थी, वहीं जुलाई 2025 तक यह ₹1,00,000 के पार पहुंच गई। यानी छह वर्षों में सोने ने 200 प्रतिशत से ज्यादा रिटर्न दिया और कीमतों में तीन गुना तक की बढ़ोतरी हुई।

अनुमान पर खरा उतरा मोतीलाल ओसवाल का नजरिया

MOFSL ने शुरू से ही गोल्ड पर सकारात्मक दृष्टिकोण रखा और लगातार अपने अनुमान अपडेट किए। 2024 के लिए रिपोर्ट ने ₹98,000 का टारगेट दिया था, जो वास्तविकता में ₹1.02 लाख तक पहुंच गया। अब रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि मौजूदा स्तरों पर बाजार पहले से ही प्रमुख फैक्टर्स को समाहित कर चुका है और आगे तेजी के लिए किसी नए ट्रिगर की जरूरत होगी।

MOFSL के एनालिस्ट मानव मोदी ने कहा है कि जब तक कोई स्पष्ट और मजबूत ट्रिगर नहीं आता, सोने की कीमतों में ठहराव बना रह सकता है।

कौन-कौन से कारणों से रुकी सोने की रफ्तार?

रिपोर्ट के मुताबिक, सोने की तेजी पर विराम लगने के पीछे ये 6 बड़े कारण जिम्मेदार हैं:

  1. भूराजनीतिक तनाव का असर पहले ही शामिल हो चुका है
    इज़राइल-ईरान और रूस-यूक्रेन जैसे संकटों का प्रभाव अब सोने की मौजूदा कीमतों में जुड़ चुका है।
  2. वैश्विक टैरिफ युद्ध में नरमी
    अमेरिका जैसे बड़े देशों में व्यापारिक तनाव में कमी आई है, जिससे बाजार को स्थिरता मिली है।
  3. ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम हुई
    ब्याज दरों में कटौती से गोल्ड को सपोर्ट मिलता है, लेकिन अब ऐसे संकेत कम नजर आ रहे हैं।
  4. सेंट्रल बैंकों की खरीदारी सुस्त पड़ी
    भारत और चीन जैसे देश अभी भी सोना खरीद रहे हैं, लेकिन बीते वर्षों जैसी आक्रामकता नहीं दिख रही।
  5. डॉलर इंडेक्स की कमजोरी अब पुरानी खबर बन चुकी है
    डॉलर इंडेक्स में गिरावट और डी-डॉलराइजेशन की चर्चा अब बाजार में पहले से शामिल है।
  6. लंबे समय से ऊंचे दामों से आई थकावट
    सोने की कीमतों में लगातार उछाल के चलते अब निवेशकों में थकान के संकेत दिखने लगे हैं।

क्या कहता है सोने का पिछला प्रदर्शन?

पिछले 25 सालों के आंकड़ों पर गौर करें तो COMEX गोल्ड ने किसी भी एक साल में अधिकतम 32 प्रतिशत तक का रिटर्न दिया है। मौजूदा तेजी में यह आंकड़ा पहले ही 30 प्रतिशत को पार कर गया है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अब तेजी की रफ्तार धीमी पड़ सकती है।

निवेशकों को अब कैसी रणनीति अपनानी चाहिए?

MOFSL ने रणनीतिक निवेशकों को सुझाव दिया है कि अगर सोने की कीमत ₹96,000 प्रति 10 ग्राम से नीचे जाती है, तो लॉन्ग पोजिशन को हेज करना या आंशिक रूप से बाहर निकलना समझदारी भरा फैसला होगा।

क्या फिर लौटेगा सोने का बुलिश फेज?

रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि भविष्य में कोई नया और ठोस ट्रिगर सामने आता है, तो सोने में फिर से तेजी देखने को मिल सकती है। लेकिन तब तक कीमतें सीमित दायरे में ही रह सकती हैं।