डलहौज़ी हलचल (मंडी): हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी दुग्ध उत्पादक प्रसंघ समिति की चक्कर इकाई द्वारा मंगलवार को जिला स्तरीय राष्ट्रीय दुग्ध दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर दूध और दुग्ध उत्पादों के महत्व पर जोर देते हुए लोगों को जागरूक किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सहायक आयुक्त, खाद्य सुरक्षा एल.डी. ठाकुर ने की।
डॉ. वर्गीज कुरियन को दी श्रद्धांजलि
कार्यक्रम के दौरान श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। एल.डी. ठाकुर ने कहा कि राष्ट्रीय दुग्ध दिवस का उद्देश्य लोगों को दूध के स्वास्थ्य लाभ और इसकी पोषणीय महत्ता से अवगत कराना है। यह दिवस विशेष रूप से दुग्ध उत्पादों की उपयोगिता को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है।

दुग्ध उत्पादन में हिमाचल की भूमिका
चक्कर इकाई के प्रभारी विश्व कांत शर्मा ने बताया कि भारत दूध उत्पादन में विश्व में अग्रणी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास कर रही है, और इसमें मिल्कफेड महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। चक्कर मिल्क प्लांट, जिसकी क्षमता 50,000 लीटर है, देसी घी, मक्खन, दूध, पनीर, दही जैसे उत्पाद तैयार करने के साथ-साथ आंगनबाड़ी बच्चों के लिए न्यूट्रिमिक्स और सैवियां का भी उत्पादन कर रहा है।

प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन
कार्यक्रम के तहत दूध की महत्ता पर जागरूकता फैलाने के लिए प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न स्कूलों के बच्चों ने हिस्सा लिया।
- सैंट फ्रांसिस जेवियर कॉन्वेंट स्कूल, बगला ने पहला स्थान हासिल किया।
- राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, मंडी दूसरे स्थान पर रही।
- राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, बगला ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।
प्रतिभागियों को पुरस्कार स्वरूप उपहार दिए गए, जिससे बच्चों में उत्साह का माहौल बना।

समाजसेवा में भी भागीदारी
मिल्कफेड द्वारा कार्यक्रम के बाद वृद्ध आश्रम भंगरोटू और विशेष बच्चों के सहयोग स्कूल नागचला में दुग्ध उत्पाद वितरित किए गए। यह पहल समाजसेवा के प्रति मिल्कफेड की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने का आह्वान
इस कार्यक्रम के माध्यम से दुग्ध उत्पादन और इसके महत्व को लेकर लोगों को जागरूक किया गया। साथ ही, प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को और अधिक बढ़ावा देने का संकल्प लिया गया।
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस का यह आयोजन न केवल दुग्ध उत्पादों के महत्व को समझाने का प्रयास था, बल्कि समाज में पोषण और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की दिशा में एक सराहनीय कदम भी रहा।