डलहौज़ी हलचल (मंडी) : प्रदेश सरकार की हिम कुक्कुट पालन योजना ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता का महत्वपूर्ण साधन साबित हो रही है। इस योजना से न केवल ग्रामीण लोग आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे हैं, बल्कि प्रोटीनयुक्त आहार की भी बेहतर उपलब्धता सुनिश्चित हो रही है।
हिम कुक्कुट पालन योजना की विशेषताएँ
- आर्थिक सहायता: हिम कुक्कुट पालन योजना के तहत मुर्गी पालन पर कुल पूंजी निवेश का 60 प्रतिशत अनुदान सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है, जबकि किसानों को केवल 40 प्रतिशत खर्च करना पड़ता है।
- प्रशिक्षण और संसाधन: लाभार्थियों को सरकारी पोल्ट्री फार्म में लगभग 15 दिनों से एक महीने तक प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद मुर्गी के 3000 चूजे दिए जाते हैं। ये चूजे तीन किस्तों में उपलब्ध कराए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, चूजों के आहार के लिए 60 फीड बैग, आहार भंडारण के लिए 30 फीडर, और पानी भंडारण के लिए 30 ड्रिंकर भी प्रदान किए जाते हैं।
हेमा कुमारी की सफलता की कहानी
गोहर उपमंडल के दुगराईं गांव की निवासी हेमा कुमारी ने हिम कुक्कुट पालन योजना का लाभ उठाते हुए स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ाया है। हेमा ने वर्ष 2022-23 में सुंदरनगर के सरकारी पोल्ट्री फार्म से मुर्गी पालन पर 15 दिनों का प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद, उन्होंने कुक्कुट पालन योजना के तहत आवेदन किया और जुलाई 2024 में पहली किस्त के रूप में 1000 चूजे प्राप्त किए।
हेमा कुमारी का कहना है कि बाजार में चिकन की मांग अधिक होने के कारण उन्हें अच्छे दाम मिलते हैं। वे एक हजार मुर्गों से 50 हजार से एक लाख रुपए तक का अनुमानित लाभ प्राप्त करती हैं। इसके अलावा, मुर्गी शैड के निर्माण के लिए भी सरकार की ओर से एक लाख 60 हजार रुपए की सब्सिडी प्रदान की जा रही है।
हेमा ने इस लाभकारी हिम कुक्कुट पालन योजना के तहत प्राप्त सुविधाओं के लिए सरकार का आभार व्यक्त किया है और स्थानीय ग्रामीणों को भी इन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने का आग्रह किया है।
पशु चिकित्सा अधिकारी गोहर, डॉ. नवनीत चंदेल ने बताया कि हिम कुक्कुट पालन योजना के तहत उपमंडल में किसानों को कृषि और पशुपालन के साथ-साथ अतिरिक्त आय के बेहतर अवसर प्राप्त हो रहे हैं। यह योजना किसानों के लिए एक लाभकारी उपाय साबित हो रही है, जिससे वे अपनी आय बढ़ाने के साथ-साथ आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर हो पा रहे हैं।