डलहौज़ी हलचल (शिमला) : हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने घोषणा की कि राज्य प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बन चुका है, और यह पहला राज्य है जिसने प्राकृतिक खेती से उत्पादित फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रदान किया है। यह महत्वपूर्ण घोषणा फ्रांस के राष्ट्रीय कृषि, खाद्य एवं पर्यावरण अनुसंधान संस्थान (INRAE) के वैज्ञानिकों के प्रतिनिधिमंडल के साथ हुई बैठक के दौरान की गई। इस बैठक में राज्य में प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में हो रही प्रगति पर चर्चा की गई।
प्राकृतिक खेती के उत्पादों के लिए MSP
मुख्यमंत्री सुक्खू ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती के तहत उगाए गए गेहूं को 40 रुपये प्रति किलोग्राम और मक्का को 30 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा जा रहा है। इसके अतिरिक्त, गाय के दूध को 45 रुपये प्रति लीटर और भैंस के दूध को 55 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीदा जा रहा है। यह कदम किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य दिलाने में सहायक सिद्ध हो रहा है।
‘सीतारा प्रमाणन प्रणाली’ और ‘हिम-उन्नति योजना’
मुख्यमंत्री ने प्राकृतिक खेती के उत्पादों के प्रमाणन के महत्व पर जोर देते हुए बताया कि राज्य में ‘सीतारा प्रमाणन प्रणाली’ शुरू की गई है। यह प्रणाली किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य दिलाने और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्रमाणित करने में मदद करती है। साथ ही, ‘हिम-उन्नति योजना’ को क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण के साथ लागू किया जा रहा है, जिसके तहत लगभग 50,000 किसानों को शामिल किया जाएगा और 2,600 कृषि समूह स्थापित किए जाएंगे।
INRAE के वैज्ञानिकों का दौरा
INRAE के वैज्ञानिक, जिनका नेतृत्व एलआईएसआईएस के उप निदेशक प्रो. एलिसन मैरी लोकोंटो कर रहे थे, हिमाचल प्रदेश के दौरे पर आए हैं। यह दौरा यूरोपीय आयोग द्वारा वित्त पोषित ‘अक्रोपिक्स परियोजना’ का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य कृषि-पारिस्थितिकी फसल संरक्षण में सह-नवप्रवर्तन को बढ़ावा देना है। वैज्ञानिक डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं औद्यानिकी विश्वविद्यालय, नौणी, और राज्य के अन्य स्थानों का दौरा करेंगे।
सराहना और भविष्य की संभावनाएं
प्रतिनिधिमंडल ने हिमाचल प्रदेश सरकार के प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और ‘सीतारा प्रमाणन प्रणाली’ के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि INRAE इस प्रमाणन प्रणाली को अन्य देशों में अपनाने की संभावनाओं पर विचार करेगा।
इस महत्वपूर्ण बैठक में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।