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हिमाचल हाई कोर्ट ने घाटे में चल रहे होटलों को लेकर फैसले में किया संशोधन

Dalhousie Hulchul
हिमाचल हाईकोर्ट
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डलहौजी हलचल, शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) के घाटे में चल रहे होटलों को बंद करने के अपने आदेशों में संशोधन किया है। कोर्ट ने 18 होटलों में से नौ होटलों को 31 मार्च, 2025 तक सशर्त संचालन की अनुमति दे दी है। यदि ये होटल इस अवधि तक लाभ में नहीं आते और बेहतर प्रदर्शन नहीं दिखाते हैं, तो इनके संचालन पर पुनः विचार किया जाएगा।

किन होटलों को मिली राहत?

न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने एचपीटीडीसी के 19 नवंबर के आदेशों के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किए। जिन होटलों को सशर्त चलाने की अनुमति दी गई है, उनमें शामिल हैं:

  • द पैलेस होटल, चायल
  • होटल चंद्रभागा, केलांग
  • होटल देवदार, खजियार
  • होटल भागसू, मकलोडगंज
  • होटल लॉग हट्स, मनाली
  • होटल धौलाधार, धर्मशाला
  • होटल मेघदूत, कियारीघाट
  • होटल कुंजुम, मनाली
  • होटल द कैसल, नग्गर

ये होटल रहेंगे बंद

हाई कोर्ट के संशोधित आदेश के बावजूद निम्नलिखित नौ होटल बंद रहेंगे:

  • होटल गीतांजलि, डलहौजी
  • होटल बाघल, दाड़लाघाट
  • होटल कुणाल, धर्मशाला
  • होटल कश्मीर हाउस, धर्मशाला
  • होटल एप्पल ब्लॉसम, फागू
  • होटल गिरीगंगा, खड़ापत्थर
  • होटल सरवरी, कुल्लू
  • होटल हडिम्बा कॉटेज, मनाली
  • होटल शिवालिक, परवाणू

कोर्ट ने क्यों दिया यह आदेश?

हाई कोर्ट ने पहले 19 नवंबर को एचपीटीडीसी के 56 होटलों में से घाटे में चल रहे 18 होटलों को तुरंत बंद करने का आदेश दिया था। इसका उद्देश्य राज्य के खजाने पर पड़ रहे अतिरिक्त बोझ को कम करना था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि पर्यटन निगम अपनी संपत्तियों का सही तरीके से उपयोग नहीं कर सका, जिससे इनका संचालन घाटे का सौदा बन गया।

एचपीटीडीसी ने कोर्ट से आग्रह किया था कि कुछ होटलों को सुधार का अवसर दिया जाए और एडवांस बुकिंग व अन्य आयोजनों को निपटाने के लिए समय दिया जाए। कोर्ट ने इस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए नौ होटलों को मार्च 2025 तक संचालन की सशर्त अनुमति प्रदान की।

31 मार्च, 2025 तक यदि इन होटलों का प्रदर्शन संतोषजनक पाया जाता है, तो कोर्ट अपने आदेशों में संशोधन करने के लिए तैयार है। अन्यथा, इन होटलों के संबंध में नए सिरे से निर्णय लिया जाएगा।

पर्यटन क्षेत्र के लिए बड़ा कदम

हाई कोर्ट का यह निर्णय हिमाचल प्रदेश में पर्यटन क्षेत्र के आर्थिक पक्ष और सार्वजनिक संसाधनों के उचित उपयोग को संतुलित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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