डलहौज़ी हलचल (शिमला) हिमाचल हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (HPTDC) को बड़ा झटका देते हुए घाटे में चल रहे 18 होटलों को बंद करने का आदेश दिया है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की बेंच ने यह आदेश उन होटलों पर लागू किया है जिनकी ऑक्यूपेंसी 40 प्रतिशत से कम है। कोर्ट ने यह कदम सेवानिवृत्त पेंशनरों को उनके वित्तीय लाभ न दिए जाने के मामले की सुनवाई के दौरान उठाया।
25 नवंबर तक बंद होंगे 18 होटल
इन होटलों को किया बंद
होटल शिवालिक, परवाणू
पैलेस होटल, चैल
होटल गीतांजलि, डलहौजी
होटल भागल, दरलाघाट
होटल धौलाधार, धर्मशाला
होटल कुणाल, धर्मशाला
होटल कश्मीर हाउस, धर्मशाला
होटल एप्पल ब्लॉसम, फागू
होटल चंद्रभागा, केलांग
होटल देवदार, खज्जियार
होटल गिरिगंगा, खड़ापत्थर
होटल मेघदूत, कियारीघाट
होटल सरवरी, कुल्लू
होटल लॉग हट्स, मनाली
होटल हडिम्बा कॉटेज, मनाली
होटल कुंजम, मनाली
होटल भागसु मैक्लोडगंज
होटल द कैसल, नग्गर
पेंशनरों को वित्तीय लाभ नहीं मिलने पर फैसला
हाईकोर्ट ने पाया कि HPTDC द्वारा बार-बार निर्देश दिए जाने के बावजूद सेवानिवृत्त कर्मचारियों को ग्रेच्युटी, लीव इनकैशमेंट और अन्य वित्तीय लाभ नहीं दिए गए हैं। कोर्ट ने निगम की कमजोर वित्तीय स्थिति और इन होटलों के घाटे में होने के कारण यह कठोर कदम उठाने का फैसला किया।
हाईकोर्ट ने पहले 17 सितंबर को HPTDC को घाटे से उबरने के लिए सख्त नियम बनाने और होटलों को पार्टनरशिप या लीज पर चलाने की सलाह दी थी। इन निर्देशों का पालन न होने के कारण कोर्ट ने अब सीधे तौर पर 18 होटलों को बंद करने के आदेश दिए हैं।
राज्य सरकार ने पेश किया वित्तीय रिपोर्ट
राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में प्रदेश के कुल 56 होटलों का ब्योरा पेश किया था। इनमें से कई होटल वित्तीय घाटे में हैं और उनकी ऑक्यूपेंसी कम है। कोर्ट ने इन होटलों के प्रबंधन में सुधार के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
प्रभाव और सुझाव
होटलों को बंद करने से HPTDC को तुरंत राहत मिलने की संभावना है, लेकिन पर्यटन उद्योग पर इसका असर पड़ सकता है। कोर्ट ने सुझाव दिया कि घाटे से उबरने के लिए इन संपत्तियों को लीज या पार्टनरशिप के तहत चलाने पर विचार किया जाए ताकि निगम की आय बढ़ाई जा सके और पर्यटन को बढ़ावा मिल सके।
‘सरकार ने केस कमजोर किया’ : सुधीर शर्मा
भाजपा विधायक सुधीर शर्मा ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह प्रदेश के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।सुधीर शर्मा ने कहा, “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे पहाड़ी प्रदेश के प्रतिष्ठित 18 होटलों को बंद करने का आदेश दिया गया है। यह आम चर्चा है कि सरकार ने जानबूझकर केस कमजोर किया ताकि इन प्रॉपर्टी को विदेशी समूहों को बेचा जा सके।”
उन्होंने सरकार पर प्रदेश के पर्यटन उद्योग और पेंशनरों के अधिकारों के प्रति गैर-जिम्मेदार रवैया अपनाने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि इन होटलों को बंद करने से न केवल पर्यटन उद्योग पर असर पड़ेगा, बल्कि स्थानीय रोजगार पर भी खतरा मंडराएगा।