डलहौज़ी हलचल (शिमला) : राज्य सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र को सुदृढ़ करने को प्राथमिकता देते हुए कई नवोन्मेषी पहल की हैं, जिससे विद्यार्थी राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें और हिमाचल प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में देशभर में अग्रणी राज्य बन सके।
शिक्षक नियुक्ति और अधोसंरचना सुधार
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बताया कि राज्य सरकार ने शिक्षा में परिवर्तनकारी कदम उठाए हैं। हाल ही में 1029 टीजीटी शिक्षकों की नियुक्ति की गई, जिनमें कला, नॉन-मेडिकल और मेडिकल संकाय के शिक्षक शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, 486 शारीरिक शिक्षा के शिक्षक, 157 स्कूल कैडर प्रिंसिपल, और 245 विशेष देखभाल वाले बच्चों के स्पेशल एजुकेटर पद भरे गए हैं।
स्मार्ट कक्षाएं और आधुनिक पुस्तकालय
प्रदेश सरकार शैक्षणिक अधोसंरचना को सुदृढ़ कर रही है। 850 शैक्षणिक संस्थानों को उत्कृष्ट विद्यालय का दर्जा दिया गया है, और वर्चुअल क्लासरूम तथा होस्टल सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। ‘खेल से स्वास्थ्य योजना’ के तहत 110 शैक्षणिक संस्थानों को स्पोर्ट्स मैट और अन्य उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं। इसके अलावा, 40 हजार स्कूल डेस्क और 29 सोलर पैनल भी उपलब्ध कराए गए हैं।
शिक्षा में वित्तीय सहायता
डॉ. यशवंत सिंह परमार विद्यार्थी ऋण योजना के तहत विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए 20 लाख रुपये तक का ऋण मात्र एक प्रतिशत ब्याज पर उपलब्ध कराया जा रहा है। इस योजना के तहत अब तक 5.25 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत वर्ष 2022-23 में 81,618 विद्यार्थियों को 5419.29 लाख रुपये आवंटित किए गए हैं।
डिजिटल साक्षरता और स्मार्ट शिक्षा
श्री निवास रामानुजन विद्यार्थी योजना के तहत 10वीं, 12वीं और महाविद्यालयों के मेधावी विद्यार्थियों को 11,552 टैबलेट प्रदान किए गए हैं। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की पहल के तहत विभिन्न विद्यालयों और महाविद्यालयों में स्मार्ट और वर्चुअल कक्षाएं शुरू की गई हैं। उच्च विद्यालय छोटा शिमला, सलोह (ऊना), और उत्कृष्ट महाविद्यालय संजौली को आठ करोड़ रुपये के बजट के साथ पूरी तरह से स्मार्ट विद्यालयों और महाविद्यालयों में परिवर्तित किया गया है।
शैक्षणिक सुधार और रोजगार अवसर
सरकार ने स्नातकोत्तर शिक्षकों के लिए एक वार्षिक गतिविधि योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। वर्ष 2024-25 के अकादमिक सत्र से अध्ययन दिवसों को 180 से 210 करने का लक्ष्य है। इसके अतिरिक्त, विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों के मूल्यांकन में सुधार के लिए एकीकृत परीक्षण तंत्र स्थापित किया गया है। सरकार ने शैक्षणिक संस्थानों को वर्ष में दो जॉब फेयर आयोजित करना अनिवार्य किया है, जिसमें स्थानीय विशेषज्ञों और उद्यमियों को शामिल कर रोजगार सृजन को प्रोत्साहित किया जाएगा।
अतिरिक्त पहल और शिक्षक प्रशिक्षण
कम विद्यार्थी संख्या वाले विद्यालयों का विलय और तबादलों पर पूर्ण प्रतिबंध जैसे कदम विद्यार्थियों के हित में उठाए गए हैं। प्राथमिक उपचार और सीपीआर में प्रशिक्षण सहित विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। शिक्षकों के लिए विदेशों में एक्सपोजर विजिट की पहल के तहत, पहले चरण में 200 शिक्षक सिंगापुर गए और शैक्षणिक गतिविधियों का ज्ञान अर्जन किया। अन्य 200 शिक्षक केरल और अन्य राज्यों में शैक्षणिक अनुभव हासिल कर लौटे हैं।
ये सभी प्रयास राज्य सरकार के शिक्षा क्षेत्र में समर्पण और प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। इन प्रयासों से हिमाचल प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में एक मॉडल राज्य के रूप में उभरेगा, जो आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।