डलहौज़ी हलचल (हमीरपुर) : राधास्वामी चैरिटेबल अस्पताल भोटा को बंद करने के आदेश के विरोध में बुधवार सुबह से सैकड़ों महिलाओं ने शिमला-धर्मशाला नेशनल हाईवे पर प्रदर्शन किया। महिलाओं ने अस्पताल को बंद न करने की मांग करते हुए चक्का जाम किया। हालांकि, भारी पुलिस बल की तैनाती के कारण महिलाएं मुख्य हाईवे पर नहीं बैठ सकीं, लेकिन सड़क किनारे प्रदर्शन जारी रखा।
महिलाओं और पूर्व कर्मचारियों ने जताई नाराजगी
प्रदर्शन में शामिल पूर्व कर्मचारी रविंद्र खन्ना ने कहा कि अस्पताल के नए ट्रस्ट प्रमुख ने सरकार की मौखिक आश्वासन पर भरोसा न करते हुए लिखित आदेश की मांग की है। उन्होंने बताया कि अगर 30 नवंबर तक समाधान नहीं निकला, तो लोग पहली दिसंबर को अस्पताल के दोनों गेटों पर बैठकर स्टाफ और सामान को अंदर जाने से रोक देंगे। उनका कहना है कि अस्पताल लोगों की सेवा के लिए चल रहा है और इसे बंद करना जनता के हितों के खिलाफ है।
विधायकों ने दिया समर्थन, समस्या के समाधान का आश्वासन
विधायक बड़सर इंदर दत्त लखनपाल, विधायक आशीष शर्मा और विधायक रणधीर शर्मा ने प्रदर्शन स्थल पर पहुंचकर महिलाओं और प्रदर्शनकारियों से बातचीत की।
- इंदर दत्त लखनपाल ने मुख्यमंत्री सुक्खू से अपील की कि अस्पताल के जमीन विवाद को सुलझाने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं, ताकि यह जनसेवा जारी रह सके।
- आशीष शर्मा ने कहा कि 24 सालों से लोगों की सेवा कर रहे इस अस्पताल को बंद करने की नौबत क्यों आई, यह सरकार की नाकामी दर्शाता है। उन्होंने मुख्यमंत्री से संशोधन प्रस्ताव लाने की मांग की, जिससे अस्पताल को बचाया जा सके।
- रणधीर शर्मा ने कहा कि यह जनता की जायज मांग है और भाजपा इसका पूर्ण समर्थन करती है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के पास अधिकार हैं और कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर या लिखित में आश्वासन देकर समस्या का समाधान किया जा सकता है।
अस्पताल बचाने की मांग पर अड़े प्रदर्शनकारी
प्रदर्शनकारियों ने सरकार से मांग की है कि अस्पताल को बंद न किया जाए और जनहित में इसे चालू रखने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं। महिलाओं का कहना है कि अस्पताल न केवल स्वास्थ्य सेवाओं का केंद्र है, बल्कि वर्षों से हजारों जरूरतमंदों को मदद पहुंचा रहा है।
मुख्यमंत्री सुक्खू से समस्या हल करने की अपील
विधायकों और प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री को जल्द से जल्द हस्तक्षेप करने और समाधान निकालने की अपील की है। प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
भोटा चैरिटेबल अस्पताल का भविष्य खतरे में
24 सालों से सेवाएं दे रहा यह अस्पताल अब जमीन विवाद के चलते बंद होने के कगार पर है। जनता और प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सरकार इस संवेदनशील मुद्दे को प्राथमिकता से हल करे, ताकि जनसेवा का यह सिलसिला जारी रह सके।