डलहौज़ी हलचल ( Una) : लेफ्टिनेंट कर्नल एस के कालिया ने बताया कि युद्व की पृष्ठभूमि साल 1971 की शुरूआत से ही बनने लगी थी जब पाकिस्तान के तत्कालीन सैनिक तानाशाह याहिया खां ने 25 मार्च 1971 को पूर्वी पाकिस्तान की जन भावनाओं को अपनी सैन्य ताकत से कुचलने का आदेश दिया।
इसके उपरांत शेखा मुजीब को गिरफ्तार कर लिया गया। तब वहॉं से बड़ी संख्या में शरणार्थी लगातार भारत आने लगे। जब भारत में पाकिस्तानी सेना के दुर्व्यवहार की खबरें आईं तो भारत पर सेना के जरिये हस्तक्षेप का दबाव पड़ने लगा। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी चाहती थी कि यह सैन्य हस्तक्षेप अप्रैल में हो और इस बारे में तब रहे सेनाध्यक्ष जनरल मानेकशॉ से सलाह ली गई। इस पर जनरल मानेकशॉ ने अपनी सैन्य क्षमताओं व दूसरे सभी पहलुओं पर विचार कर प्रधानमंत्री को अपनी स्थिति से अवगत कराया और कहा कि व पूरी तैयारी के साथ युद्व में उतरना चाहते हैं।
लेफ्टिनेंट कर्नल ने बताया कि कुछ महीनों बाद पाकिस्तानी सेना ने 3 दिसम्बर 1971 को अचानक भारत की सीमा मे आकर पठानकोट, श्रीनगर, अमृतसर, जोधपुर व आगरा आदि सैनिक हवाई अड्ड़ों पर बमवर्षा शुरू कर दी। इस पर भारतीय सेना (Indian Army) ने तुरंत जबावी कारवाई कर पूर्व में तेजी से आगे बढते हुए जेसोर व खुलना पर कब्जा कर लिया। इसके बाद यह युद्व लगभग 14 दिन चलता रहा।
युद्व के दौरान 14 दिसम्बर को भारतीय सेना(Indian Army) ने एक गुप्त संदेश के आधार पर ढाका में पाकिस्तानी सेना के बड़े अधिकारियों की बैठक होने वाली जगह पर मिग-21 से बम गिरा कर भवन की छत उड़ा दी व गवर्नर मलिक ने अपना इस्तीफा लिख दिया। 16 दिसम्बर को जनरल जैकव को जनरल मानेकशॉ का संदेश मिला कि आत्मसम्पर्ण की तैयारी के लिए तुरन्त ढाका पहॅुचे। भारतीय सेना (Indian Army) ने युद्व पर पूरी पकड़ बना ली थी और ले.जनरल अरोड़ा शाम को ढाका हवाई अडे पर उतरे। अरोड़ा और नियाजी एक मेज पर बैठे और दोनों ने आत्मसम्पर्ण के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए।
जनरल नियाजी ने अपने रैंक वाले बिल्ले व रिवाल्वर जनरल अरोड़ा को आंखों में आंसू लिए सौंप दिए। इसके साथ 93 हज़ार सैनिकों ने भी आत्मसम्पर्ण कर दिया। इस युद्व में भारतीय सेना ने भी 39 हज़ार जांवाज खोये और 9851 सैनिक घायल हुए। इसके बाद पूर्वी पाकिस्तान जो कि अब बंगलादेश के नाम से जाना जाता है को आजाद करवा लिया गया।
जनरल मानेकशॉ ने प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी को इस शानदार जीत की खबर दी। इस ऐतिहासिक जीत की खुशी हर वर्ष 16 दिसम्बर को हर देशवासी के मन को उमंग से भर देती है। इस दिन उन वीरसपूतों के शौर्य, अदमय साहस, वीरता व पराक्रम को पूरा देश याद करता है व नमन करता है।