Sirmour News: डलहौज़ी हलचल (Sirmour ): जिला सिरमौर के अंतर्गत श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र और शिलाई विधानसभा क्षेत्र में आज भी कई घराट नालों और खड्डों में मौजूद है । देश और प्रदेश के विभिन्न विकसित क्षेत्रों में बेशक बरसों पहले पानी से चलने वाले पारंपरिक घराट लुप्त हो चुके हों, मगर उपमंडल संगड़ाह के दूरदराज के गांव सींऊ और पालर आदि में सदियों बाद भी घराटों का वजूद आज भी कायम है। बिना सरकारी मदद अथवा ऋण के लगाए गए उक्त घराट कुछ लोगों के लिए स्वरोजगार का साधन भी बने हुए हैं ।
नदी-नालों के साथ बसे उक्त गांव में हालांकि बिजली की चक्कियां होने के साथ-साथ आसपास के कस्बों से ब्रांडेड व बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आटे की सप्लाई भी होती है, मगर अधिकतर ग्रामीण अपने अनाज को घराट में ही पिसवाना पसंद करते हैं। न केवल इन्हीं गांव के लोग बल्कि अन्य गांवों, कस्बों तथा शहरी इलाकों में रहने वाले कुछ साधन संपन्न लोग भी समय मिलने पर इन छोटे-छोटे घराटों से अनाज पिसवा कर घर ले जाते हैं।
गांव सीऊं के घराट मालिक रघुवीर सिंह ने बताया कि, कई पीढियों से घराट उनके परिवार की आय का मुख्य जरिया बना हुआ है। घराट के अलावा हालांकि उनका परिवार अदरक आलू व टमाटर जैसी नकदी फसलें भी उगाता है । मगर जमीन कम होने के चलते आज भी उनकी आमदनी का मुख्य साधन घराट ही बना हुआ है। बातचीत में रघुवीर सिंह ने बताया कि, आजादी के बाद 1950 में उनके दादाजी को घराट का पट्टा मिला था तथा अब तक तहसील कार्यालय संगडाह अथवा नंबरदार को इसका राजस्व जमा करवाते हैं।
रघुवीर के अलावा सुरेंद्र सिंह, सागर सिंह, हरिचंद, सोहन सिंह, जय प्रकाश, भागचंद, दलीप सिंह, हरि चंद, सतपाल, सिद्दू राम व गोविन्द सिंह आदि के घराट भी सीऊं व पालर आदि गांव में बखूबी चल रहे हैं। घराट कहलाने वाली पंचक्की के मालिकों के अनुसार हालांकि आज के इस आधुनिक दौर में उनके धंधे में पहले जैसी कमाई नहीं रही, मगर कम लागत अथवा खर्चे का साधन होने के चलते वह इस परंपरा को जारी रखे हुए हैं। दुकानों पर मिलने वाले ब्रांडेड कंपनियों के आटे के मुकाबले घराट के आटे के दीवाने इसका स्वाद बेहतरीन बताते हैं ।
बहरहाल क्षेत्र में आज भी घराट का वजूद कायम है। गत वर्ष संगडाह में विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंता व सहायक अभियंता कार्यालय बंद होने तथा 33केवी लाईन संगडाह-चाढना की साल भर से मुरम्मत न होने के बाद आए दिन अघोषित पावर कट से जहां चक्की वाले परेशान हैं, वहीं घराट मालिकों को न तो महंगी बिजली के बिल की चिंता है और न ही पावर कट की।