डलहौज़ी हलचल (चंबा) : चंबा जिले की कई पंचायतें आज भी बुनियादी सड़क सुविधा से वंचित हैं, और इसका सबसे बड़ा उदाहरण कोहलडी पंचायत है। इस पंचायत के प्रमुख गांव जैसे भमरोता, डिबरी, लाहड, पखरोग, झगरोता, कुट, कसियाल और लोधरी, आजादी के दशकों बाद भी सड़क मार्ग से नहीं जुड़े हैं। इस वजह से यहां के ग्रामीणों को तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनका जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ है।
सड़क न होने के कारण जीवन की मुश्किलें
इन गांवों के लोगों का कहना है कि सड़क न होने के कारण उनके पास बुनियादी सुविधाएं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और बिजली तक नहीं पहुंच पा रही हैं। सड़क न होने की वजह से लोगों को अस्पताल तक पहुंचने के लिए गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कई बार आपात स्थिति में गांव के लोग मरीजों को कई किलोमीटर तक पैदल ले जाते हैं, जिससे समय पर इलाज न मिलने के कारण जान का खतरा बढ़ जाता है।
पलायन की मजबूरी
सड़क और अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण कई परिवार अपने गांवों को छोड़कर अन्यत्र पलायन कर चुके हैं। रोजगार और शिक्षा की तलाश में बाहर गए युवा भी अपने गांवों में लौटने के बाद असुविधाओं से जूझते हैं। इंटरनेट और बिजली जैसी सुविधाओं की कमी से गांव के युवाओं का जीवन और भी कठिन हो गया है। वे कहते हैं कि यहां न तो इंटरनेट की सही सुविधा है और न ही नौकरी की संभावनाएं, जिससे बाहर जाने की मजबूरी बढ़ती जा रही है।
वृद्ध महिलाओं की व्यथा
गांव की वृद्ध महिलाओं ने बताया कि सड़क न होने की वजह से उनके लड़कों के लिए शादी करना भी मुश्किल हो गया है। बाहर की लड़कियां इस गांव में रिश्ता करने से कतराती हैं, क्योंकि यहां पर जीवन बेहद कठिन है। इसके अलावा, बच्चों के स्कूल जाने में भी हमेशा जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है, जिससे अभिभावकों में हमेशा डर का माहौल रहता है।
सरकार से अपील
कोहलडी पंचायत के ग्रामीणों ने सरकार से अपील की है कि जल्द से जल्द उनके गांवों को सड़क मार्ग से जोड़ा जाए ताकि वे भी विकास का हिस्सा बन सकें। सड़क बनने से न केवल उनके जीवन की समस्याएं हल होंगी, बल्कि स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इससे गांवों में पलायन रुकेगा और लोग वापस अपने गांवों में आकर बेहतर जीवन बिता सकेंगे।
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चंबा जिले के इन ग्रामीण इलाकों में सड़क की कमी ने लोगों के जीवन को बेहद कठिन बना दिया है। सरकार और प्रशासन से इस दिशा में तत्काल कदम उठाने की उम्मीद है ताकि कोहलडी और अन्य गांवों के लोग भी मुख्यधारा से जुड़ सकें और उन्हें एक बेहतर जीवन जीने का मौका मिल सके।