डलहौज़ी हलचल (बकलोह) भूषण गुरंग : आज बकलोह के गोरखा सभा भवन में आजाद हिंद फौज के पहले गोरखा सिपाही, मेजर दुर्गा मल के 80वें बलिदान दिवस को श्रद्धापूर्वक मनाया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता गोरखा सभा के सभापति विजय गुरुंग ने की। कार्यक्रम का आगाज दीप प्रज्वलित करके हुआ, जिसके बाद बकलोह क्षेत्र के वीर सपूतों को भी याद किया गया।
श्रद्धांजलि और देशभक्ति के गीत
रविवार को सुबह सबसे पहले गोरखा सभा द्वारा मेजर दुर्गा मल और बकलोह क्षेत्र के सभी वीर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस मौके पर देशभक्ति के गीत गाए गए और सभी उपस्थित सदस्यों ने दो मिनट का मौन धारण कर शहीदों के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की।
मेजर दुर्गा मल की वीरगाथा
गोरखा सभा द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान, एक्स सर्विस लीग के अध्यक्ष कैप्टन पूरन सिंह थापा ने मेजर दुर्गा मल की वीरता और बलिदान की गाथा सुनाई। उन्होंने बताया कि मेजर दुर्गा मल आजाद हिंद फौज के पहले गोरखा सिपाही थे, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उन्हें मणिपुर के कोहिमा के पास उखरूल में शत्रु सेना ने गिरफ्तार किया और कई यातनाओं के बाद 14 अगस्त 1944 को लाल किला के सेंट्रल जेल में कैद किया गया। इसके बाद, पचीस अगस्त उन्नीस सौ चवालीस को उन्हें अंग्रेजों द्वारा फांसी दे दी गई।
मेजर दुर्गा मल ने फांसी से पहले अपनी पत्नी शारदा देवी से कहा था, “मेरा बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा, भारत एक दिन जरूर आजाद होगा।” आज पूरे देश में मेजर दुर्गा मल का बलिदान दिवस मनाया जाता है।
इस समारोह में मेजर दुर्गा मल की देशभक्ति और त्याग को याद किया गया और उपस्थित सभी लोगों ने उनके अद्वितीय बलिदान के प्रति सम्मान प्रकट किया। कार्यक्रम ने गोरखा सभा ने बकलोह के सभी वीर सपूतों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए उनके बलिदान को सम्मानित किया।