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नागनी माता मेला: धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का संगम

Dalhousie Hulchul
नागनी माता मेला
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डलहौज़ी हलचल (नूरपुर) भूषण गुरंग : हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध सिद्ध पीठों में से एक, नागनी माता मेला, का शुभारंभ पिछले शनिवार को धूमधाम से हुआ। यह धार्मिक मेला पूरे दो महीने तक चलेगा और इसमें लाखों श्रद्धालु हिमाचल प्रदेश, पंजाब, जम्मू, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और अन्य राज्यों से माता के दर्शनों के लिए आते हैं।

नागनी माता मंदिर की विशेष महत्ता

नागनी माता के मंदिर की अपनी एक विशिष्ट महत्ता है। मान्यता है कि जब किसी को जहरीले सांप या अन्य जीव-जंतु के काटने पर इस मंदिर में लाया जाता है और उसे मंदिर की मिट्टी और शकर का लेप लगाया जाता है, तो जहर का असर समाप्त हो जाता है। यह आस्था श्रद्धालुओं को इस मंदिर की ओर आकर्षित करती है। मेले के शुभारंभ के अवसर पर मान्यता है कि माता नागनी अवश्य दर्शन देती हैं।

स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान

नागनी मेला कमेटी के प्रधान प्रीतम सिंह ने बताया कि दो महीने तक चलने वाले इस मेले से स्थानीय लोगों की आर्थिकी का महत्वपूर्ण हिस्सा जुड़ा हुआ है। मेले के आयोजन के लिए प्रशासन ने व्यापक तैयारी की है, जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। प्रधान ने यह भी बताया कि यह मेला कुल नौ हफ्ते तक चलता है और अंतिम शनिवार को विशाल भंडारे का आयोजन होता है।

आस्था और प्रशासनिक तैयारी

नागनी माता मेला न केवल धार्मिक श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी एक महत्वपूर्ण घटना है। भक्तों की आस्था और प्रशासन की तैयारी ने इस मेले को विशेष बना दिया है। इस आयोजन ने क्षेत्र में सांस्कृतिक धरोहर को भी सहेजने का कार्य किया है, जिससे लोग यहां की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़ते हैं।

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