डलहौज़ी हलचल (बनीखेत) 15 सितंबर – रविवार को स्थानीय निरंकारी सत्संग भवन बनीखेत में साप्ताहिक सत्संग का आयोजन हुआ, जिसमें प्रचार टूर प्रोग्राम के तहत केंद्रीय ज्ञान प्रचारक महात्मा सुरेन्द्र पाल जी ने परमात्मा के महत्व और उसके बोध का संदेश दिया। सत्संग के दौरान प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए उन्होंने कहा, “परमात्मा को केवल जानना ही नहीं, बल्कि उसे मानना भी उतना ही आवश्यक है। जानने और मानने का सही आनंद तभी मिलता है जब हम पहले परमात्मा को जान लेते हैं, इसलिए कहा गया है कि ‘पहले जानो, फिर मानो।’”
परमात्मा का बोध और सद्गुरु का मार्गदर्शन
महात्मा सुरेन्द्र पाल जी ने बताया कि परमात्मा हर कण में व्याप्त है और इसका सही बोध केवल पूर्ण गुरु द्वारा ही संभव है। उन्होंने कहा कि जब हम सद्गुरु द्वारा परमात्मा को जान लेते हैं और उनके बताए मार्ग पर चलने का प्रयास करते हैं, तभी हमें वास्तविक आनंद की प्राप्ति होती है। सद्गुरु का संदेश यही है कि हम गृहस्थ जीवन में रहते हुए इंसानियत की सेवा करें, दूसरों के दुख-दर्द को बांटें, और उनकी खुशी में भी सहभागी बनें।
सद्गुरु के उपदेशों का अनुसरण और इंसानियत से प्रेम
महात्मा जी ने इस बात पर जोर दिया कि ईश्वर उन्हीं लोगों को प्रिय मानते हैं जो इंसानियत से प्रेम करते हैं और परोपकारी जीवन जीते हैं। उन्होंने कहा, “वास्तविक निरंकारी वही कहलाता है जो सद्गुरु के उपदेशों का अनुसरण करता है और जीवन में परमात्मा के बोध को अपना लेता है।” उन्होंने धर्म और मजहब के नाम पर हो रहे संघर्षों पर भी चिंता व्यक्त की और बताया कि मनुष्य योनि अति दुर्लभ है। अगर इस योनि में भी परमात्मा का बोध न हो सके, तो मानव जीवन का उद्देश्य पूरा नहीं होता।
भजनों और प्रवचनों से सत्संग में छाई भक्तिमयता
सत्संग के दौरान मिशन के अन्य अनुयायियों ने भी भजनों और प्रवचनों के माध्यम से परमात्मा का गुणगान किया। पुनम प्रतिभा, संजीव, अनिल गुप्ता, और संयोजक महात्मा एच एस गुलेरिया जी ने अपने भजन और कविताओं से निराकार सत्ता के महत्त्व को स्पष्ट किया। सत्संग में उपस्थित श्रद्धालुओं ने भक्ति और समर्पण के साथ इस संदेश को आत्मसात किया।