डलहौज़ी हलचल (बनीखेत)अशोक चौहड़िया— स्थानीय निरंकारी सत्संग भवन में रविवार को साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया, जिसमें अमृतसर, पंजाब से प्रचार दौरे पर आए महात्मा अमित भाटिया जी ने श्रद्धालुओं को आत्मिक ज्ञान और जीवन के उद्देश्य की ओर उन्मुख करने वाला सत्संग प्रदान किया।
“कहे हरदेव कहां से आया, कहां पे तुझको जाना है”
सत्संग में महात्मा भाटिया जी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि “दुनिया एक सफर है, लेकिन मनुष्य यह नहीं जानता कि उसका असली ठिकाना क्या है।” उन्होंने कहा कि यह प्रश्न केवल सतगुरु की शरण में जाकर ही हल होता है। सतगुरु जब ब्रह्मज्ञान प्रदान करता है, तब आत्मा को उसके परम स्रोत निरंकार से मिलवा देता है।
उन्होंने आगे कहा कि निरंकार को जब मन की गहराइयों में अनुभव किया जाता है तो जीवन में वैर, ईर्ष्या, नफरत और अहंकार जैसे दुर्गुण स्वतः समाप्त हो जाते हैं और प्रेम, समदृष्टि तथा अपनत्व जैसे मानवीय गुणों का विकास होता है।
“एकत्व में सच्चा सुकून है”
भाटिया जी ने मानवता को एकत्व के सूत्र में पिरोने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि “जब आत्मा को अपने वास्तविक स्वरूप का बोध हो जाता है, तब वह जान लेती है कि शरीर उसकी असली पहचान नहीं, बल्कि वह स्वयं परमात्मा का अंश है।” यह आत्म-परमात्मा का रिश्ता ही जीवन का सार है।
भजनों व कविताओं से गूंजा सत्संग भवन
इस अवसर पर छत्तीसगढ़, पंजाब व स्थानीय संत-महात्माओं ने भी भजन, विचार और कविताओं के माध्यम से कण-कण में व्याप्त निराकार प्रभु का गुणगान किया। सत्संग का वातावरण आध्यात्मिक अनुभूति और शांति से भर उठा।