डलहौज़ी हलहल (शिमला) – 12 जुलाई 2024- शिमला के ऐतिहासिक तारादेवी मंदिर में 14 जुलाई से श्रद्धालुओं को लंगर अब टौर के पत्तलों में परोसा जाएगा। यह निर्णय जिला प्रशासन ने पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने के उद्देश्य से लिया है। उपायुक्त अनुपम कश्यप ने बताया कि यह कदम संतुलित पर्यावरण के लिए उठाया गया है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।
जिला ग्रामीण विकास प्राधिकरण के अधीन राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत, सुन्नी खंड में कार्यरत सक्षम क्लस्टर लेवल फेडरेशन को पांच हजार पत्तलों का ऑर्डर दिया गया है। इस फेडरेशन में 2900 से अधिक महिलाएं कार्यरत हैं, जो अब तक पत्तलों की मांग कम होने के कारण उत्पादन नहीं कर पाती थीं। उपायुक्त ने बताया कि जिला के सभी मंदिरों में अब हरी पत्तल में लंगर परोसे जाएंगे और प्रथम चरण में तारादेवी मंदिर से इसकी शुरुआत हो रही है।
सक्षम क्लस्टर लेवल फेडरेशन के प्रतिनिधियों ने उपायुक्त को पत्तलों के उत्पादन के बारे में जानकारी दी और स्वयं निर्मित पत्तल भी भेंट किए। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में टौर के पेड़ कम हैं। उपायुक्त ने कहा कि वन विभाग के सहयोग से आगामी पौधारोपण अभियान में टौर के पौधे भी लगाए जाएंगे ताकि भविष्य में पत्तों की कमी न हो।
टौर की पत्तल की खूबियां
टौर की बेल कचनार परिवार से संबंधित है और इसमें औषधीय गुण भी होते हैं। इससे भूख बढ़ाने में सहायता मिलती है और ये नैपकिन के तौर पर भी इस्तेमाल हो सकते हैं। टौर के पत्ते पर्यावरण के लिए लाभदायक हैं क्योंकि ये गड्ढे में डालने पर दो से तीन दिन में गल सड़ जाते हैं और खेतों में खाद के रूप में भी इस्तेमाल होते हैं।
रोजगार के नए अवसर
इस पहल से पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ गरीबों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। सक्षम क्लस्टर लेवल फेडरेशन को बढ़ावा देने का उद्देश्य अन्य स्वयं सहायता समूहों को प्रेरित करना है। प्रदेश में प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के बाद यह कदम और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
बैठक में उपस्थित गणमान्य
इस बैठक में अतिरिक्त उपायुक्त अभिषेक वर्मा, पीओ डीआरडीए कीर्ति चंदेल, प्रबंधक एनआरएलएम पल्लवी पटियाल, सक्षम क्लस्टर लेवल फेडरेशन की अध्यक्षा रीमा वर्मा, दीपा, तारा, पुष्पलता और कृष्णा विशेष तौर पर मौजूद रहे।