डलहौज़ी हलचल (चंबा) : हाल ही में हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य निदेशक की अध्यक्षता में विभिन्न स्वास्थ्य कर्मचारी संगठनों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में स्वास्थ्य निदेशालय और चिकित्सा शिक्षा निदेशालय में कर्मचारियों के कैडर पृथक्करण (सेपरेशन) पर गहन चर्चा की गई। इस दौरान फार्मेसी ऑफिसर एसोसिएशन ने भी अपनी आपत्तियां और चिंताएं जोरदार तरीके से प्रस्तुत कीं।
फार्मेसी ऑफिसर संघ का विरोध
चंबा जिला फार्मेसी ऑफिसर संघ ने प्रदेश में स्वास्थ्य निदेशालयों में फार्मेसी ऑफिसर्स के कैडर पृथक्करण के प्रस्ताव पर कड़ा विरोध जताया है। संघ ने मांग की है कि कैडर पृथक्करण के कारण वरिष्ठता सूची में कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए और वर्तमान वरिष्ठता सूची के आधार पर पदोन्नति सुनिश्चित की जानी चाहिए। इसके अलावा, संघ ने यह भी सवाल उठाया कि क्या सरकार कैडर पृथक्करण के बाद प्रदेश के उच्च स्वास्थ्य संस्थानों में फार्मेसी ऑफिसर के पदों का सृजन करेगी, जिसमें फार्माकोविजीलेंस या क्लीनिकल फार्मेसी ऑफिसर के पद भी शामिल हों।
महत्वपूर्ण सवाल और चिंताएं
फार्मेसी ऑफिसर संघ ने इस बात पर भी जोर दिया कि क्या सरकार अंतर कैडर तबादला नीति बनाएगी और क्या हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थानों में फार्मेसी प्रैक्टिस 2015 को लागू करेगी। वर्तमान में फार्मेसी ऑफिसर्स को 25-30 साल की सेवा के बाद केवल एक ही पदोन्नति (मुख्य फार्मेसी ऑफिसर) मिलती है, वह भी केवल 10% कर्मचारियों को। अधिकांश कर्मचारी बिना किसी पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो जाते हैं। संघ ने यह भी जानना चाहा कि क्या सरकार कैडर पृथक्करण के बाद बाह्य रोगी संख्या के अनुपात में नए पदों का सृजन करने जा रही है।
संघ का बयान और विरोध
चंबा जिला फार्मेसी अफसर संघ के जिला अध्यक्ष हंसराज चौहान और महासचिव जनम सिंह ने एक संयुक्त बयान में बताया कि वर्तमान में प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत फार्मेसी ऑफिसर्स पर अपनी ऑप्शन देने के लिए दबाव डाला जा रहा है, जो कि तर्कसंगत नहीं है। जिला संघ ने राज्य संघ के साथ मिलकर इस कैडर पृथक्करण के खिलाफ विरोध दर्ज किया है और सरकार से इस विषय पर संज्ञान लेने और कैडर पृथक्करण की प्रक्रिया को अविलंब निरस्त करने का आग्रह किया है।
इस विरोध के चलते सरकार पर यह दबाव बढ़ रहा है कि वह कर्मचारियों की मांगों को गंभीरता से ले और उनके हितों को ध्यान में रखते हुए उचित निर्णय ले।