डलहौज़ी हलचल (डलहौज़ी) : आज प्रबुद्ध भारत फाउंडेशन, फगवाड़ा, पंजाब द्वारा भारत रत्न बाबा साहिब डॉ. भीम राव अंबेडकर पर आधारित 15वीं बहुविकल्पीय लिखित परीक्षा का सफल आयोजन देश के विभिन्न हिस्सों में किया गया। इस महत्वपूर्ण आयोजन के तहत चंबा जिले में भी छह केंद्रों पर परीक्षा आयोजित की गई, जिसमें बड़ी संख्या में प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया।
परीक्षा के आयोजन की विस्तृत जानकारी
अंबेडकर मिशन सोसाइटी चंबा के महासचिव अनूप राही ने जानकारी देते हुए बताया कि पिछले 20 वर्षों से विभिन्न विषयों पर इस प्रकार की परीक्षाओं का आयोजन किया जा रहा है। इस वर्ष की परीक्षा का विषय “आधुनिक भारत के निर्माता – डॉ. अंबेडकर” रखा गया था, जिसके माध्यम से बाबा साहिब के जीवन और उनके समाज के लिए किए गए अतुल्य कार्यों को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया गया।
चंबा जिले में परीक्षा केंद्र और सहभागिता
चंबा जिले में अंबेडकर मिशन सोसाइटी चंबा के सहयोग से निम्नलिखित छह केंद्रों पर परीक्षा आयोजित की गई:
- चंबा
- तीसा
- सलूणी
- डलहौजी
- साहू
- सिहुंता
डलहौजी में यह परीक्षा गुरु सिंह सभा भवन, डलहौजी कैंट में आयोजित की गई। जिले के विभिन्न केंद्रों में लगभग 370 प्रतिभागियों ने कनिष्ठ और वरिष्ठ दोनों वर्गों में भाग लिया।
- कनिष्ठ वर्ग: कक्षा 6 से 12 तक के छात्र
- वरिष्ठ वर्ग: कक्षा 12 से लेकर 40 वर्ष तक के अभ्यर्थी
पुरस्कार और सम्मान
अनूप राही ने बताया कि अखिल भारतीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को आकर्षक पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे:
- प्रथम पुरस्कार: ₹50,000
- द्वितीय पुरस्कार: ₹30,000
- तृतीय पुरस्कार: ₹10,000
- दोनों वर्गों में 250-250 प्रतिभागियों को: ₹1,000 प्रति छात्र
इसके अलावा, जिला स्तर पर भी प्रथम पांच विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा, जिससे प्रतिभागियों में और अधिक उत्साह और प्रतिस्पर्धा का माहौल बना रहा।
सहयोग और सम्मान समारोह
इस सफल आयोजन में वाल्मीकि चैरिटेबल सोसायटी, डलहौजी कैंट का विशेष सहयोग रहा, जिसके लिए अनूप राही ने उनका आभार व्यक्त किया। भविष्य में भी इस प्रकार की परीक्षाओं के आयोजन की बात कही गई, जिससे समाज में जागरूकता और शिक्षा का प्रसार होता रहे।
इस मौके पर अनूप राही और उनके सहयोगी सुशील सूर्य को वाल्मीकि चैरिटेबल सोसायटी की तरफ़ से सरोपा और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया, जिससे सहयोग और समर्पण की भावना को और बल मिला।