डलहौज़ी हलचल (शिमला) : हिमाचल प्रदेश के जल रक्षकों ने हाल ही में सुक्खू सरकार के खिलाफ एक सशक्त आंदोलन शुरू कर दिया है। विधानसभा के मानसून सत्र के नौवें दिन, प्रदेश भर से जल रक्षक अपनी मांगों को लेकर विधानसभा के बाहर एकत्र हुए और सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। चौड़ा मैदान से विधानसभा की ओर कूच कर रहे जल रक्षकों को पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर रोका, जिससे दोनों पक्षों के बीच धक्का-मुक्की की स्थिति उत्पन्न हो गई।
जल रक्षक महासंघ की प्रमुख मांगें
जल रक्षक महासंघ के अध्यक्ष रूप लाल ने बताया कि सरकार उनकी मांगों को सुनने के लिए तैयार नहीं है। उनका कहना था, “लाखों रुपए सैलरी पाने वालों को समय पर वेतन मिल रहा है, लेकिन चार-पांच हजार रुपये पाने वालों की कोई सुनवाई नहीं हो रही। इतनी कम सैलरी में घर चलाना मुश्किल हो गया है।”
मुख्य मांगें निम्नलिखित हैं:
- रेगुलराइजेशन की प्रक्रिया में बदलाव: जल रक्षकों की प्रमुख मांग है कि जिन लोगों ने 12 साल की नौकरी पूरी कर ली है, उन्हें नियमित किया जाए। इसके साथ ही, कॉन्ट्रैक्ट की अवधि को 12 साल से घटाकर 8 साल किया जाए और उनके लिए स्थायी नीति बनाई जाए।
- वेतनमान में सुधार: मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद न्यूनतम वेतनमान लागू करने की कोई स्पष्टता नहीं है। जल रक्षक इस स्थिति में सुधार की मांग कर रहे हैं।
- अनुबंध पर आने की अवधि में कटौती: जल रक्षकों की मांग है कि अनुबंध पर आने की अवधि को 12 वर्ष से घटाकर 8 वर्ष किया जाए और जिन जल रक्षकों ने 12 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया है, उनके लिए पोस्ट सृजित की जाए।
सरकार से नाराजगी और विरोध की चेतावनी
रूप लाल ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि लाखों रुपये की सैलरी पाने वालों की तनख्वाह में थोड़ी भी देरी होती है तो विपक्ष भी इसे सदन में जोर-शोर से उठाता है। लेकिन जल रक्षकों की आवाज न तो सरकार सुन रही है और न ही विपक्ष। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो जल रक्षक भूख हड़ताल पर बैठने के लिए मजबूर हो जाएंगे।
सरकार की प्रतिक्रिया और आश्वासन
रूप लाल ने बताया कि उन्होंने पहले भी मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से मुलाकात कर अपनी मांगों को स्पष्ट किया था। उपमुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आदेश दिए थे कि जल रक्षकों की कॉन्ट्रैक्ट पर आने की अवधि को घटाया जाए और मुख्यमंत्री ने पॉलिसी में संशोधन के लिए कैबिनेट में इसे लाने के आदेश दिए थे। हालांकि, इन आश्वासनों के बावजूद, सरकार ने अभी तक जल रक्षक महासंघ की मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।
जल रक्षक महासंघ की मांगें केवल उनकी आर्थिक सुरक्षा से जुड़ी नहीं हैं, बल्कि उनके कार्य के प्रति सम्मान और न्याय की भी प्रतीक हैं। सरकार को चाहिए कि वह इन मांगों को गंभीरता से ले और जल्द से जल्द आवश्यक कदम उठाए, ताकि जल रक्षकों की समस्याओं का समाधान हो सके।