डलहौज़ी हलचल (बनीखेत ) अशोक चौहड़िया: आज स्थानीय निरंकारी सत्संग भवन बनीखेत में सत्संग का आयोजन किया गया, जिसमें महात्मा संजय वर्मा जी ने श्रद्धालुओं को भक्ति और मानवता का संदेश दिया।
उन्होंने कहा कि सच्ची भक्ति परमात्मा को जानकर ही संभव है, और यह निःस्वार्थ तथा भय मुक्त होनी चाहिए। परमात्मा संपूर्ण ब्रह्मांड के कण-कण में व्याप्त है—यह हर धर्मग्रंथ में बताया गया है। जब व्यक्ति परमात्मा को जान लेता है, तो उसके मन से भय, स्वार्थ और अहंकार समाप्त हो जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप हानिकारक सोच और नकारात्मक विचारों का नाश हो जाता है।

मानवता ही सबसे बड़ा धर्म
सत्संग में संजय वर्मा जी ने कहा कि मनुष्य जीवन अनमोल है और इसी जीवन में परमात्मा की पहचान करनी चाहिए। उन्होंने समझाया कि हमारी असली पहचान केवल यह शरीर नहीं, बल्कि हमारी आत्मा है। शरीर की बनावट सबकी समान होती है, लेकिन व्यवहार से ही पता चलता है कि कोई व्यक्ति मानवीय गुणों से भरपूर है या अहंकार, क्रोध और लोभ से ग्रसित है।
उन्होंने यह भी कहा कि फरिश्ते और शैतान दोनों इंसानों के रूप में ही होते हैं, लेकिन उनके कार्य ही उन्हें अलग बनाते हैं। मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं है, इसलिए इंसान को अपने जीवन में प्रेम, अपनत्व, एकता, सहनशीलता, करुणा और दया जैसे गुण अपनाने चाहिए। जब मन परमात्मा से जुड़ जाता है, तो ये सभी मानवीय गुण स्वाभाविक रूप से व्यक्ति में आ जाते हैं।
सत्संग में श्रद्धालुओं ने आध्यात्मिक उपदेशों को मन लगाकर सुना और सत्संग के महत्व को आत्मसात किया।