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वोकेशनल शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी, स्कूल न ज्वाइन करने पर सेवाएं समाप्त होने की चेतावनी

Dalhousie Hulchul
वोकेशनल शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी

डलहौजी हलचल (शिमला) : प्रदेश में 11 दिनों से धरने पर बैठे वोकेशनल शिक्षकों को सर्विस प्रोवाइडर कंपनी द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। नोटिस में शिक्षकों से पूछा गया है कि वे इतने दिनों तक बिना अनुमति स्कूलों से अनुपस्थित क्यों रहे। साथ ही शिक्षकों को निर्देश दिया गया है कि वे तीन दिनों के भीतर स्कूलों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं और लिखित में नोटिस का उत्तर दें।

शिक्षकों से मांगे गए प्रमाण और अटेंडेंस रिकॉर्ड

कंपनी ने शिक्षकों से यह भी पूछा है कि यदि उन्होंने छुट्टी ली थी, तो इसका प्रमाण प्रस्तुत करें। इसके साथ ही स्कूलों से शिक्षकों का अटेंडेंस रिकॉर्ड भी मांगा गया है। नियमों के अनुसार, यदि शिक्षक बिना पूर्व सूचना के 10 दिनों तक स्कूल से अनुपस्थित रहते हैं, तो उनकी सेवाएं समाप्त की जा सकती हैं।

धरने के कारण 11 दिनों से ठप्प है वोकेशनल शिक्षा

शिक्षक पिछले 11 दिनों से अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे। वे सर्विस प्रोवाइडर कंपनी को हटाने और विभाग में समायोजित किए जाने की मांग कर रहे हैं। धरने के कारण राज्य के स्कूलों में वोकेशनल शिक्षा पूरी तरह ठप्प हो गई है।

समग्र शिक्षा परियोजना निदेशक से आज मुलाकात

इस मुद्दे को सुलझाने के लिए आज, 16 नवंबर, को वोकेशनल टीचर वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारी समग्र शिक्षा के परियोजना निदेशक से मुलाकात करेंगे। शिक्षकों का कहना है कि शिक्षा मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया था कि उनके आंदोलन के दौरान की अवधि को रैगुलराइज किया जाएगा।

शिक्षा मंत्री 18 नवंबर को करेंगे बैठक

सूत्रों के अनुसार, शिक्षा मंत्री इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए 18 नवंबर को बैठक बुला सकते हैं। शिक्षक संघ इस बैठक में इन 11 दिनों की छुट्टियों को नियमित करने और बिना वेतन कटौती के आंदोलन अवधि को मान्यता देने की मांग करेगा।

बिना अनुमति छुट्टी लेने पर हो सकती है वेतन कटौती

यदि शिक्षक बिना अनुमति के छुट्टी पर पाए गए, तो नियमों के अनुसार उनकी सैलरी काटी जा सकती है। सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ने स्पष्ट किया है कि नियमों का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

वोकेशनल शिक्षकों और सर्विस प्रोवाइडर कंपनी के बीच का यह विवाद राज्य में शिक्षा के कार्यों को बाधित कर रहा है। अब देखना होगा कि समग्र शिक्षा परियोजना निदेशक और शिक्षा मंत्री के हस्तक्षेप से इस समस्या का क्या समाधान निकलता है।

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