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दुग्ध आधारित अर्थव्यवस्था को संबल प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार के महत्वाकांक्षी प्रयास

Dalhousie Hulchul
दुग्ध आधारित अर्थव्यवस्था

डलहौज़ी हलचल (शिमला) : प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाएं और कार्यक्रम सफलतापूर्वक कार्यान्वित किए जा रहे हैं। दुग्ध उत्पादन से जुड़ी गतिविधियों की महत्वपूर्ण भूमिका है, और इसी के दृष्टिगत प्रदेश सरकार ग्रामीण अर्थिकी से जुड़े हितधारकों को सशक्त करने पर विशेष ध्यान दे रही है।

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू का कहना है कि दुग्ध उत्पादन रोजगार सृजन, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबृत करने और महिला सशक्तिकरण की संभावनाओं का रास्ता प्रशस्त करने वाला क्षेत्र है। इस क्षेत्र में सहकारी समितियां भी सराहनीय कार्य कर रही हैं। प्रौद्योगिकी के युग में नवीन तकनीक और नवोन्मेषी पहल अपनाना नितांत अनिवार्य है।

दुग्ध प्रसंस्करण और संयंत्र उन्नयन

प्रदेश सरकार द्वारा दुग्ध प्रसंस्करण और इसकी गुणवत्ता पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। प्रदेश में दुग्ध संयंत्रों का चरणबद्ध तरीके से उन्नयन किया जा रहा है। हिम-गंगा योजना के तहत जिला कांगड़ा स्थित ढगवार में 250 करोड़ रुपये की लागत से विश्व स्तरीय दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किया जा रहा है, जिसकी क्षमता को बढ़ाकर 3 लाख लीटर प्रतिदिन करने की योजना है। इस संयंत्र में अत्याधुनिक तकनीक से दूध का पाउडर बनाया जाएगा, जिसमें मांग से अधिक दूध को लंबे समय तक संरक्षित किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त दही, खोया, घी, आईसक्रीम, फ्लेवर्ड मिल्क, पनीर और अन्य उत्पाद भी तैयार किए जाएंगे। इस संयंत्र में अल्ट्रा हीट तकनीक से पैंकिंग की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जाएगी।

रेफ्रिजरेटिड मिल्क वैन और संयंत्र क्षमता वृद्धि

प्रदेश सरकार द्वारा स्थानीय युवाओं को किसानों व एकत्रीकरण केंद्रों से दूध प्रसंस्करण संयंत्रों तक दूध ले जाने के लिए 200 रेफ्रिजरेटिड मिल्क वैन उपलब्ध करवाने का बजट में प्रावधान किया गया है। राज्य सरकार ने दुग्ध संयंत्र कुल्लू, हमीरपुर, नाहन और दुग्ध संयंत्र ऊना की क्षमता 20-20 हजार लीटर करने की योजना भी बनाई है। दुग्ध विपणन प्रक्रिया और इसके परिवहन का युक्तिकरण भी किया जा रहा है। दुग्ध उत्पादन समितियों के पंजीकरण कार्य में तेजी लाई है और इसके लिए समितियों को हर संभव सहयोग प्रदान किया जा रहा है।

मिल्कफेड का सुदृढ़ीकरण

सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश राज्य दुग्ध उत्पादक प्रसंघ (मिल्कफेड) के सुदृढ़ीकरण के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। मिल्कफेड के ट्रेडमार्क ‘हिम’ का केंद्र सरकार से पंजीकरण करवाया गया है। हिमाचल प्रदेश मिल्कफेड द्वारा राज्य में 102 ऑटोमैटिक मिल्क कलेक्शन यूनिट स्थापित किए गए हैं और दूर-दराज के क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण दूध एकत्र करने के लिए 320 लीटर क्षमता के 55 मिल्क कूलर छोटी समितियों को उपलब्ध करवाए गए हैं। प्रदेश में वर्तमान में 1148 ग्राम दुग्ध सहकारी समितियां हैं, जिनके 47,905 सदस्य हैं। इनमें महिलाओं की संख्या 19,388 है। राज्य में 11 दुग्ध संयंत्र और 116 बल्क मिल्क कूलर भी स्थापित हैं।

न्यूनतम समर्थन मूल्य और गुणवत्ता बोनस

यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसानों और पशुपालकों को न केवल दूध उत्पाद का लागत आधारित मूल्य सुनिश्चित हो बल्कि उन्हें गुणवत्ता बोनस भी प्राप्त हो। सरकार इसी ध्येय के साथ निरंतर कार्य कर रही है। पशुपालन तथा दूध उत्पादन को प्राकृतिक खेती से जोड़कर किसानों की आय में वृद्धि सुनिश्चित की जा रही है। गाय तथा भैंस के दूध के न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाकर क्रमशः 45 और 55 रुपये किया गया है। भारतवर्ष में यह पहल करने वाला हिमाचल प्रदेश एकमात्र राज्य है।

आधुनिक प्रौद्योगिकी का समावेश

प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि दुग्ध क्षेत्र के विकासोन्मुखी कार्यक्रमों में आधुनिक प्रौद्योगिकी का समावेश कर हिमाचल को इस क्षेत्र में मॉडल राज्य बनाया जाए। सरकार के ये महत्वाकांक्षी प्रयास निश्चित तौर पर हिमाचल को आत्मनिर्भर राज्य बनाने की परिकल्पना को साकार करने में संबल प्रदान करेंगे।

प्रदेश सरकार दुग्ध उत्पादन क्षेत्र में 360 डिग्री विकास के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है ताकि ग्रामीण व अन्य क्षेत्रों की आर्थिकी को संबल प्रदान किया जा सके।

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