डलहौज़ी हलचल (शिमला) : हिमाचल प्रदेश सरकार ने ग्रामीण इलाकों के सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण पहल के तहत स्वामित्व योजना शुरू की है, जिसके माध्यम से लोगों को जमीन का कानूनी मालिकाना हक प्रदान किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इसे प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास का नया अध्याय बताया है, जिससे हजारों परिवारों के जीवन में आर्थिक उन्नति के नए अवसर खुलेंगे।
संपत्ति कार्ड: कानूनी अधिकार और आर्थिक समृद्धि का साधन
राजस्व विभाग की देखरेख में शुरू की गई स्वामित्व योजना के पहले चरण में 190 गांवों के 4,230 से अधिक परिवारों को संपत्ति कार्ड वितरित किए जा रहे हैं। इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए ड्रोन तकनीक का उपयोग किया गया है, जिससे प्रदेश के 13,599 आबादी देह गांवों की जमीन की मार्किंग पूरी हो चुकी है। भारतीय सर्वेक्षण विभाग ने इस योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और नक्शों को तैयार कर ग्रामीणों को संपत्ति कार्ड जारी करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है।
हमीरपुर: देश का पहला जिला बना, जहां लाल डोरा में मिला कानूनी मालिकाना हक
हमीरपुर जिला स्वामित्व योजना के तहत देश का पहला ऐसा जिला बना है, जहां लाल डोरा में रहने वाले परिवारों को जमीन का कानूनी अधिकार दिया गया है। इससे इन परिवारों की समस्याएं हल हो रही हैं और उन्हें ऋण लेने व जमीन में निवेश करने के अवसर मिल रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है।
संपत्ति कार्ड: एक सरल और पारदर्शी भू-प्रशासन प्रणाली की ओर कदम
संपत्ति कार्ड ग्रामीण इलाकों के निवासियों के लिए न केवल कानूनी दस्तावेज हैं, बल्कि लाल डोरा और लाल लकीर क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की लंबी चली आ रही समस्याओं का समाधान भी हैं। इन कार्डों से लोगों को राजस्व कार्यालयों के बार-बार चक्कर लगाने से मुक्ति मिलेगी और भूमि संबंधी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता आएगी।
भविष्य की ओर: एक प्रगतिशील और समृद्ध ग्रामीण भारत की कल्पना
स्वामित्व योजना हिमाचल प्रदेश में एक अधिक कुशल, पारदर्शी और आधुनिक भू-प्रशासन प्रणाली की नींव रख रही है। यह योजना न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी लाभकारी साबित होगी, जिससे राज्य के ग्रामीण इलाकों में समृद्धि और आर्थिक स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त होगा।