डलहौज़ी हलचल (चंबा) भूषण गुरंग : शिक्षा खंड सुंडला के अंतर्गत आने वाली राजकीय प्राथमिक पाठशाला मौड़ा में कार्यरत राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्त नवाचारी अध्यापक युद्धवीर टंडन ने भारतीय प्रबंधन संस्थान (आई.आई.एम.), अहमदाबाद में अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। इस दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ नाबार्ड (NABARD) के अध्यक्ष शाजी के. वी. द्वारा किया गया, जिसमें भारत के विभिन्न राज्यों सहित 20 देशों से शोधार्थी, शिक्षक एवं नवाचारकर्ता शामिल हुए।
शोध पत्र का मुख्य विषय
शिक्षक युद्धवीर टंडन द्वारा प्रस्तुत “उत्कृष्ट विद्यालय प्रबंधन समिति पुरस्कारों का जिला चंबा के सरकारी विद्यालयों पर सकारात्मक प्रभाव” विषय पर शोध पत्र में बताया गया कि इन पुरस्कारों ने विद्यालयों के संपूर्ण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने अपने शोध के माध्यम से चंबा जिले के आठ शिक्षा खंडों में पुरस्कार जीतने वाले विद्यालयों के शिक्षकों, विद्यालय प्रबंधन समिति (SMC) के सदस्यों और छात्रों से एकत्रित आंकड़ों का विश्लेषण प्रस्तुत किया। इस अध्ययन से निष्कर्ष निकला कि इन पुरस्कारों से शिक्षक-अभिभावक सहभागिता बढ़ी, जिससे विद्यार्थियों के अधिगम स्तर (learning outcomes) में भी सुधार हुआ।
शोध पत्र को मिली सराहना
शिक्षक टंडन के शोध पत्र को संगोष्ठी में उपस्थित अंतरराष्ट्रीय शोधार्थियों और शिक्षाविदों द्वारा सराहा गया। साथ ही, उनके निष्कर्षों और सुझावों पर एक विस्तृत परिचर्चा भी हुई।
शोध के आधार पर दिए गए सुझाव
- पुरस्कार स्वरूप दी जाने वाली राशि में वृद्धि की जानी चाहिए।
- उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली विद्यालय प्रबंधन समितियों को अतिरिक्त अनुदान दिया जाए।
- विद्यालय प्रबंधन समितियों को प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से और सशक्त बनाया जाए।
पोस्टर प्रस्तुतीकरण व पुस्तक विमोचन
संगोष्ठी के दौरान पोस्टर प्रस्तुतीकरण सत्र में भी शिक्षक टंडन द्वारा किए गए कार्यों को सृष्टि संस्था द्वारा प्रदर्शित किया गया।
इसके अतिरिक्त, “बदलती तस्वीर शिक्षा की” नामक जिला चंबा की उत्कृष्ट शैक्षिक प्रथाओं और नवाचारों पर आधारित पुस्तक भी संगोष्ठी में प्रस्तुत की गई, जिसे सभी प्रतिभागियों ने सराहा।
संस्थाओं का सहयोग
शिक्षक युद्धवीर टंडन को सृष्टि, नोट ऑन मैप, एवं हनी बी नेटवर्क जैसी संस्थाओं के माध्यम से इस संगोष्ठी में चयनित होने का अवसर मिला।
इस शोध पत्र प्रस्तुति के माध्यम से हिमाचल प्रदेश, विशेष रूप से जिला चंबा में हो रहे शैक्षिक नवाचारों को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का अवसर मिला, जिससे भविष्य में शिक्षा नीति निर्माण और विद्यालय प्रबंधन में सुधार की संभावनाएं और प्रबल होंगी।