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मिंजर मेले की तीसरी सांस्कृतिक संध्या: चंबा में मनोरंजन की बौछार

Dalhousie Hulchul
मिंजर
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डलहौज़ी हलचल (चंबा): अंतर्राष्ट्रीय मिंजर मेले की तीसरी सांस्कृतिक संध्या में चम्बा सदर के विधायक नीरज नैय्यर ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। इस अवसर पर मेला कमेटी की तरफ से डी.सी. मुकेश रेप्सवाल ने उन्हें चम्बा थाल, शॉल, टोपी, और अन्य स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस सांस्कृतिक संध्या में विभिन्न कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीत लिया।

पंजाबी और हिमाचली कलाकारों का जलवा

सांस्कृतिक संध्या में पंजाबी गायक शिवजोत और हिमाचली कलाकार के.एस. प्रेमी ने अपने गीतों से मंच को जीवंत बना दिया। शिवजोत ने मंच पर आते ही दर्शकों का दिल जीत लिया। उन्होंने “दिल चोरी साडा हो गया”, “छोटा नंबर”, “पंजेबा”, “सोने-सोने” जैसे हिट गानों के साथ माहौल में जोश भर दिया। उनकी प्रस्तुति के दौरान दर्शकों ने सीटियों और तालियों से उनका स्वागत किया। शिवजोत ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया, उनकी गायिकी और मंच की ऊर्जा ने संध्या को एक अद्भुत अनुभव बना दिया।

वहीं, हिमाचली कलाकार के.एस. प्रेमी ने अपने पहाड़ी गीतों से समां बांध दिया। उनकी प्रस्तुतियों में “डुगे नाले ऊंची धारा”, “भोले शिव सामिया”, “चम्बा आर की नदिया पार”, और “चिट्टा तेरा चोला काला डोरा” जैसे लोकगीत शामिल थे। प्रेमी ने अपनी गायिकी के माध्यम से दर्शकों को हिमाचली संस्कृति की गहरी झलक दिखाई।

बॉलीवुड और लोक कलाकारों की प्रस्तुति

बॉलीवुड के प्रसिद्ध गायक तन्मय चतुर्वेदी ने भी इस सांस्कृतिक संध्या में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उन्होंने “इश्क सुफियाना” जैसे गीत गाकर संध्या को एक नई ऊंचाई दी। तन्मय की आवाज़ और गाने की प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पंकज शर्मा ने “कृष्णा तेरी मुरली”, “गागर भरी दे”, “ढिकलु री जोड़ी”, “गिलमों” जैसे गीतों से कार्यक्रम को और भी जीवंत बना दिया।

मिंजर
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पारंपरिक और उभरते कलाकारों का संगम

कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक मुसाधा गायकों के साथ हुई, जिन्होंने अपनी कला से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। इसके बाद युवा और उभरते हुए कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से संध्या को और भी मनोरंजक बना दिया। सुभाष प्रिंस, अपूर्वा पांडेय, प्रदीप दीप्ति, रोशनी शर्मा, अजीत भट्ट एंड पार्टी ने अपनी प्रस्तुतियों से समां बांध दिया।

मिंजर
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मिंजर मेले की यह सांस्कृतिक संध्या मनोरंजन और उत्सव से भरपूर रही। इस दौरान दर्शकों ने विभिन्न कलाकारों की प्रस्तुतियों का आनंद लिया और कार्यक्रम को एक यादगार शाम के रूप में संजोया। इस प्रकार, मिंजर मेला न केवल सांस्कृतिक धरोहर का एक प्रमुख स्थल बन गया है बल्कि यह विभिन्न संस्कृतियों और कला रूपों का संगम भी प्रस्तुत करता है।

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