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भरमौर में जनजातीय गौरव दिवस समापन समारोह संपन्न

Dalhousie Hulchul

डलहौज़ी हलचल (भरमौर): उपमंडल मुख्यालय भरमौर में महान स्वतंत्रता सेनानी और आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की जयंती के उपलक्ष्य में जनजातीय गौरव दिवस समापन समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश के राजस्व, बागवानी और जनजातीय विकास मंत्री जगत सिंह नेगी ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। उन्होंने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया।

इस समारोह में प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों, स्थानीय बुनकरों और स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं द्वारा प्रदर्शनियां लगाई गईं, जिनका मंत्री ने अवलोकन किया।

भरमौर में जनजातीय गौरव दिवस

बिरसा मुंडा: आदिवासी समाज के प्रेरणास्रोत

समारोह को संबोधित करते हुए श्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि बिरसा मुंडा ने अपने छोटे से जीवनकाल में आदिवासी समाज के आत्मसम्मान और स्वाभिमान को बढ़ाने के लिए अमूल्य योगदान दिया। उनके कार्यों ने उन्हें भगवान का दर्जा दिलाया। उन्होंने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस हमारी प्राचीन समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को प्रचारित करने का एक अवसर है, जो आने वाली पीढ़ियों को अपनी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने में सहायक है।

भरमौर में जनजातीय गौरव दिवस

जनजातीय क्षेत्रों के विकास के लिए बजट और योजनाएं

श्री नेगी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार जनजातीय और पिछड़े क्षेत्रों के विकास के लिए संकल्पबद्ध है। उन्होंने बताया कि जनजातीय विकास कार्यक्रम के तहत वित्तीय वर्ष 2024-25 में 900 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है, जो पिछले वर्ष के बजट से 42 करोड़ अधिक है।

उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश के अनछुए स्थलों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जा रहा है, जिससे स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार के अवसर मिलेंगे। साथ ही, पहली बार तहसील और उप-तहसील स्तर पर विशेष इंतकाल अदालतों का आयोजन कर 2 लाख 25 हजार 734 राजस्व मामलों का समाधान किया गया, जिससे लोगों को बड़ी राहत मिली है।

भरमौर में जनजातीय गौरव दिवस

किसानों और बागवानों के लिए विशेष योजनाएं

श्री नेगी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने किसानों और बागवानों के लिए यूनिवर्सल कार्टन और सेब की प्रति किलो खरीद व्यवस्था लागू की है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो रही है। उन्होंने क्षेत्रवासियों से अपील की कि वे बागवानी को स्वरोजगार का साधन बनाएं और सरकार की योजनाओं का लाभ उठाएं।

भरमौर में जनजातीय गौरव दिवस

भरमौर में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा

मंत्री ने यह भी बताया कि भरमौर स्थित 84 मंदिर परिसर और भरमानी माता मंदिर के सौंदर्यीकरण और श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए योजनाबद्ध कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने घोषणा की कि 2025 से हर वर्ष भरमौर में एक बड़े उत्सव का आयोजन होगा, जिसमें जनजातीय क्षेत्र की लोक संस्कृति को बढ़ावा दिया जाएगा। इस उत्सव में शहनाई वादन प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी, जिसमें प्रथम विजेता को 50 हजार रुपए, द्वितीय को 30 हजार रुपए और तृतीय को 20 हजार रुपए का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।

समारोह की मुख्य झलकियां

कार्यक्रम में स्थानीय कलाकारों और स्कूली बच्चों ने पारंपरिक वेशभूषा में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। मंत्री ने प्रदर्शनियों का निरीक्षण किया और स्थानीय बुनकरों एवं स्वयं सहायता समूहों के प्रयासों की सराहना की।

भरमौर में जनजातीय गौरव दिवस

जनजातीय क्षेत्रों में वन अधिकार अधिनियम का क्रियान्वयन

श्री नेगी ने कहा कि प्रदेश सरकार के प्रयासों से जनजातीय जिलों किन्नौर और लाहौल-स्पीति में वन अधिकार अधिनियम के तहत लोगों को जमीन के पट्टे दिए जा रहे हैं। निकट भविष्य में चंबा जिले के पांगी और भरमौर क्षेत्रों में भी यह सुविधा शुरू हो जाएगी।

भरमौर में बागवानी की अपार संभावनाएं

मंत्री ने भरमौर में बागवानी क्षेत्र के विकास की संभावनाओं पर जोर दिया। उन्होंने स्थानीय लोगों से आग्रह किया कि वे बागवानी विभाग की योजनाओं का लाभ उठाएं और स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ाएं।

भरमौर में जनजातीय गौरव दिवस

समापन समारोह के आयोजन

कार्यकारी एडीएम भरमौर कुलबीर सिंह राणा ने मुख्य अतिथि और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। उन्होंने जानकारी दी कि भरमौर में जनजातीय गौरव दिवस समारोह 15 अप्रैल 2024 से लगातार आयोजित किया जा रहा है। इस दौरान स्वच्छता, पौधारोपण और सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं जैसे कार्यक्रम आयोजित किए गए।

उपस्थिति और वक्ता

इस अवसर पर स्थानीय विधायक डॉ. जनक राज, कांग्रेस पार्टी के पंचायती राज सेल के प्रदेश उपाध्यक्ष ब्रह्मा नंद ठाकुर, ग्राम पंचायत संचूई के प्रधान संजीव कुमार, डीएफओ भरमौर नवनाथ माने, उपनिदेशक उच्च शिक्षा प्यार सिंह चाढ़क, और उपनिदेशक प्रारंभिक शिक्षा ज्ञान चंद सहित बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी उपस्थित थे।

जनजातीय गौरव दिवस का यह आयोजन न केवल जनजातीय संस्कृति को बढ़ावा देने का प्रयास है, बल्कि क्षेत्र के विकास और सामाजिक समरसता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।

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