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बिलासपुर की वर्षा शर्मा: हिमाचली संस्कृति की चमकती सितारा

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डलहौज़ी हलचल (कपिल शर्मा) : बिलासपुर जिले के छोटे से गांव साई फरड़यां की निवासी वर्षा शर्मा ने हिमाचल प्रदेश की संस्कृति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एक उत्कृष्ट कलाकार और संस्कृति प्रमोटर, वर्षा ने अपनी कला के माध्यम से पारंपरिक लोकगीत, रीति-रिवाज और वेशभूषा को जीवित रखने का काम किया है।

शुरुआती जीवन और शिक्षा

वर्षा शर्मा का जन्म साई फरड़यां में हुआ। उनके पिता श्रवण कुमार और माता सुनीता देवी ने हमेशा उन्हें कला के प्रति प्रोत्साहित किया। वर्षा ने अपनी स्कूली शिक्षा रघुनाथपुरा स्कूल से प्राप्त की और फिर बिलासपुर कॉलेज से बीए की डिग्री पूरी की। बचपन से ही उन्हें डांस, एक्टिंग और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों में गहरी रुचि थी।

वर्षा शर्मा
वर्षा शर्मा

सांस्कृतिक पहलों की शुरुआत

2017 में, वर्षा ने नेशनल यूथ फेस्टिवल, रोहतक, हरियाणा में फोक डांस प्रतियोगिता में भाग लिया। इस मंच पर उन्होंने पहली बार हिमाचल की संस्कृति का प्रदर्शन किया। उनका उद्देश्य है कि आने वाली पीढ़ियों को अपनी सांस्कृतिक विरासत से अवगत कराया जाए, ताकि हमारी रीति-रिवाज और परंपराएं सुरक्षित रह सकें।

पुरस्कार और सम्मान

वर्षा शर्मा को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया है, जिनमें शामिल हैं:

  • मिस बिलासपुर 2023
  • मिस ग्लोरी ऑफ हिमालय 2023
  • द बेस्ट टैलेंट शो 2023
  • शान ए हिमाचल पब्लिक चॉइस अवार्ड 2023
  • मिस पहाड़ी उत्सव 2023 में फर्स्ट रनर अप
  • मिस हुनरबाज हिमाचल 2024
  • देव भूमि स्टार अवार्ड 2024
  • कल्चर प्रमोटर अवार्ड 2024
  • शाइनिंग स्टार अवार्ड 2024

हाल ही में, उन्हें इंटरनेशनल कल्कि गौरव सम्मान 2024 और हिमाचल की शान अवार्ड 2024 से भी सम्मानित किया गया।

वर्षा शर्मा
वर्षा शर्मा

शिक्षा और सामाजिक कार्य

वर्षा शर्मा केवल एक कलाकार नहीं हैं, बल्कि वह बच्चों को डांस, एक्टिंग और मॉडलिंग सिखाने में भी सक्रिय हैं। वह अपने बिलासपुर के उड़ान ग्रुप थिएटर के डायरेक्टर अभिषेक डोगरा के साथ मिलकर काम कर रही हैं। उनका लक्ष्य है कि युवा पीढ़ी को अपने सांस्कृतिक मूल्यों से परिचित कराया जाए और उन्हें सशक्त बनाया जाए।

वर्षा शर्मा का प्रयास न केवल हिमाचली संस्कृति को बढ़ावा देने का है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा भी है। उनका योगदान एक उदाहरण है कि कैसे कला और संस्कृति के माध्यम से हम अपनी पहचान को जीवित रख सकते हैं। वर्षा की मेहनत और प्रतिबद्धता निश्चित रूप से हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण साबित होगी।