डलहौज़ी हलचल (हमीरपुर) : हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में स्थित भोटा चैरिटेबल अस्पताल का मामला राज्य में चर्चा का विषय बना हुआ है। पंजाब के राधास्वामी सत्संग ब्यास के प्रबंधन ने अस्पताल को अपनी सिस्टर कंसर्न महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को ट्रांसफर करने की मांग की है। हालांकि, यह मामला कई कानूनी और प्रशासनिक अड़चनों में उलझ गया है।
क्या है मामला ?
भोटा चैरिटेबल अस्पताल का निर्माण राधास्वामी सत्संग ब्यास के नेतृत्व में किया गया था, जो एक धर्मार्थ संस्थान है। यह अस्पताल स्थानीय जनता को मुफ्त चिकित्सा सेवाएं प्रदान करता है। हिमाचल प्रदेश, विशेषकर बिलासपुर, ऊना और मंडी जिलों के लोग यहां इलाज के लिए आते हैं।
क्या है राधास्वामी सत्संग ब्यास का प्रस्ताव ?
डेरा ब्यास चाहता है कि यह अस्पताल और इससे जुड़ी 30 एकड़ जमीन उनकी सिस्टर कंसर्न महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को ट्रांसफर कर दी जाए।
- कारण:
- अस्पताल को आधुनिक उपकरणों से अपग्रेड करने के लिए भारी जीएसटी का भुगतान करना पड़ता है।
- यदि अस्पताल ट्रांसफर होता है, तो यह वित्तीय और प्रशासनिक तौर पर अधिक सुगम होगा।
कानूनी अड़चनें
- लैंड सीलिंग एक्ट:
- हिमाचल का लैंड सीलिंग एक्ट, जो संविधान द्वारा संरक्षित है, जमीन ट्रांसफर के प्रावधानों को प्रतिबंधित करता है।
- वर्ष 2014 में, तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने डेरा ब्यास को लैंड सीलिंग एक्ट से छूट दी थी। लेकिन इसमें यह शर्त जोड़ी गई थी कि जमीन को न बेचा जा सकता है, न लीज पर दिया जा सकता है और न ही ट्रांसफर किया जा सकता है।
- ऑर्डिनेंस की प्रक्रिया:
- राज्य सरकार को पहले ऑर्डिनेंस का मसौदा विधि विभाग से मंजूरी के लिए भेजना होगा।
- इसके बाद इसे विधानसभा में पेश किया जाएगा।
- विधानसभा से पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
- संवैधानिक प्रोटेक्शन:
- हिमाचल प्रदेश के लैंड सीलिंग एक्ट को भारतीय संविधान का प्रोटेक्शन है, जो इसमें संशोधन को और अधिक जटिल बनाता है।
सरकार का रुख
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि सरकार इस मामले में कानूनी पहलुओं की जांच कर रही है। आगामी विधानसभा शीतकालीन सत्र में इस पर ऑर्डिनेंस लाया जाएगा।
स्थानीय विरोध और प्रदर्शन
सोमवार को राधास्वामी सत्संग ब्यास द्वारा अस्पताल के बाहर एक नोटिस लगाया गया, जिसमें कहा गया है कि 31 दिसंबर 2024 को अस्पताल बंद कर दिया जाएगा। राधास्वामी सत्संग चैरिटेबल अस्पताल भोटा के संभावित बंद होने को लेकर क्षेत्रीय जनता में गहरी नाराजगी देखी जा रही है। सोमवार को पंचायती राज संस्थाओं और गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त हमीरपुर से मुलाकात कर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में रखी गई मांगें
प्रतिनिधियों ने ज्ञापन में उल्लेख किया कि पिछले 20 से 25 वर्षों से यह अस्पताल स्थानीय जनता को नि:शुल्क चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर रहा है।
- 15 किलोमीटर के दायरे में आने वाले सैकड़ों गांवों के लोग यहां नियमित इलाज करवाते हैं।
- अस्पताल को 45 बिस्तरों वाले उन्नत स्वास्थ्य केंद्र में अपग्रेड करने की योजना है, लेकिन इसके लिए जमीन हस्तांतरण की प्रक्रिया में देरी हो रही है।
- राधास्वामी सत्संग ब्यास प्रबंधन ने इस अस्पताल को अपनी सिस्टर कंसर्न महाराज जगत सिंह रिलीफ सोसायटी में ट्रांसफर करने की मांग की है ताकि अपग्रेडेशन के लिए आवश्यक औपचारिकताएं पूरी की जा सकें।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
- राधास्वामी सत्संग ब्यास के हिमाचल में करीब 10 लाख अनुयायी हैं, जो इसे राजनीतिक रूप से भी प्रभावशाली बनाता है।
- डेरा ब्यास के साथ भाजपा और कांग्रेस दोनों के नेताओं के करीबी संबंध रहे हैं।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी डेरा ब्यास के गुरुओं से मिलने जाते रहे हैं।
क्या है भविष्य?
- ऑर्डिनेंस का पास होना:
- यदि विधानसभा में ऑर्डिनेंस पास हो भी जाता है, तो राष्ट्रपति की मंजूरी मिलना अनिवार्य है।
- यह प्रक्रिया लंबी और जटिल होगी।
- वन-टाइम छूट:
- सरकार अस्पताल ट्रांसफर के लिए वन-टाइम रिलैक्सेशन पर विचार कर सकती है।
- स्थानीय जनमत:
- अस्पताल बंद करने की घोषणा के बाद स्थानीय लोगों का विरोध सरकार के लिए चुनौती बन सकता है।
भोटा चैरिटेबल अस्पताल का मामला केवल कानूनी और प्रशासनिक पहलुओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जनहित, राजनीति और सामाजिक विश्वास से भी जुड़ा हुआ है। क्या सरकार राधास्वामी सत्संग ब्यास की मांग को पूरा कर पाएगी, या फिर स्थानीय जनता के विरोध के कारण इस प्रस्ताव को रोकना पड़ेगा? आने वाले समय में इस मामले पर सरकार की कार्रवाई पर सबकी नजरें टिकी होंगी।