डलहौजी हलचल (ऊना): शिक्षण और शोध में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के नैतिक प्रभावों और इसके जिम्मेदार उपयोग पर आईआईआईटी ऊना में एक दिवसीय अनुसंधान कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में फैकल्टी, शोध छात्र, और विद्यार्थियों ने भाग लिया, जहां उन्होंने एआई के उपयोग को नैतिक रूप से बेहतर बनाने के तरीके सीखे।
इस कार्यशाला की मुख्य वक्ता “सोमिस एडब्ल्यूडब्ल्यू” महिला स्टार्टअप की संस्थापक और एआई नैतिकता विशेषज्ञ डॉ. केएस सौमिया रानी ने बताया कि वैज्ञानिक लेखन और प्रकाशन में एआई उपकरणों का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है। उन्होंने इस दौरान बताया कि एआई का उपयोग नैतिक मानकों के तहत करना आवश्यक है ताकि अकादमिक कार्य की गुणवत्ता में वृद्धि हो। साथ ही, उन्होंने प्रतिभागियों को व्यावहारिक सुझाव दिए जिससे एआई को लेखन और शोध में समर्थनकारी के रूप में उपयोग किया जा सके।
एआई के जिम्मेदार उपयोग पर चर्चा
डॉ. रानी ने प्रतिभागियों को एआई का नैतिक और जिम्मेदार तरीके से इस्तेमाल करने के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया। उनके अनुसार, एआई का उपयोग लेखन और शिक्षण पद्धतियों में सुधार लाने में सहायक हो सकता है, लेकिन इसके लिए नैतिक दिशा-निर्देशों का पालन करना अति महत्वपूर्ण है। उन्होंने एआई आधारित लेखन और शोध में गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कई रणनीतियाँ भी साझा कीं।
आईआईआईटी ऊना की एआई के प्रति प्रतिबद्धता
कार्यशाला के दौरान, ट्रिपल आईटी ऊना के निदेशक प्रो. मनीष गौर ने कहा कि यह कार्यक्रम अकादमिक जगत में एआई के जिम्मेदार उपयोग के प्रति उनकी संस्था की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। उन्होंने डॉ. केएस सौमिया रानी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह की कार्यशालाएँ एआई के नैतिक और जिम्मेदार उपयोग के प्रति जागरूकता फैलाने में सहायक सिद्ध होती हैं।