डलहौज़ी हलचल (चंबा ) साहिल शर्मा : अभी तक का इतिहास अगर देखा जाए तो देश में हिमाचल एक ऐसा राज्य है जहां हर पांच वर्ष बाद सरकार बदलती रहती है। वहीं हर बार सरकार के नुमाइंदे बड़े बड़े वादे तो करते है लेकिन क्या वो उन वादों को पूरा करते है या नही। यह बात जनजातीय क्षेत्र भरमौर के अंतर्गत आने वाली खुन्देल और बलोठ पंचायतों में देखने को मिली।
आज हम अपने दर्शकों को खुन्देल और बलोठ पंचायत के बारे में बतलाने जा रहे है कि इन पंचायत के मध्यांतर सरकार द्वारा एक आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी को बनाने का कार्य शुरू तो हुआ था पर आज 20 वर्षों के लम्बे अंतराल के बाद भी उस इमारत का निर्माण नहीं हो सका है और जो थोड़ा बहुत इस इमारत का निर्माण हुआ है वह अब खंडहर बन चुकी है।
आपके ध्यानार्थ इस बात को भी लाना चाहते है कि इन दोनों पंचायतों में करीब 6 हज़ार से भी ऊपर की आबादी है और ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा इसलिए नहीं मिल पाती है कि जिस जगह पर इस स्वास्थय केंद को चलाया जाना था उसका निर्माण कार्य 20 वर्षो बाद भी पूरा नहीं हो सका है। इस बीच कई सरकारें आई और कई सरकारें चली गई पर किसी भी सरकार के नुमाइंदे ने इस स्वास्थ्य केंद्र को बनाने की सुध तक नहीं ली।
आपको बता दे कि जनता जनार्धन के गाढ़े खून पसीने की कमाई से बनने जा रही इस आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी के भवन का निर्माण कार्य जिसको कि पिछले 20 वर्ष पहले शुरू करवाया जा रहा था लेकिन 20 वर्ष बीत जाने के बाद भी वो भवन क्यों नहीं बन पाया यह बड़ा स्वाल जरूर है। अलबत्ता आज हालत ऐसे बन चुके है कि वो निर्माणाधीन इमारत भी आज खंडहर के रूप में बदल कर रह गई है।
इन दोनों पंचायत के लोगों को रोष है तो इस बात का कि इन 20 सालों में बारी बारी से दोनो सरकारों ने वोट लेकर अपनी हकुमत तो जरूर की पर सुविधा के नाम पर हमारी दोनों पंचायतों को इन दोनों सरकारों के नुमाइंदों ने दरकिनार करके रख दिया है।
यहां के पूर्व पंचायत प्रतिनिधियों के इलावा यहाँ के ग्रामीण लोगों का कहना कि अब हालात ऐसे है कि सरकार का खुद का भवन नहीं होने के चलते यह आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी अब एक किराए के भवन में चलाई जा रही है जो की खुद जर्जर हालत में है और किसी भी समय गिर सकता है। जिस कारण कोई भी वहां पर नहीं जाता है। यह डिस्पेंसरी सिर्फ नाम मात्र के लिए ही वहां पर मौजूद है।
उन्होंने कहा कि जितनी भी सरकारे आई उन्होंने इस और कोई ध्यान नही दिया। कई बार जिला प्रशासन को भी अवगत करवाया गया लेकिन फिर भी किसी ने इसकी सुध नहीं ली।
उन्होंने एक बार फिर प्रदेश की सरकार और जिला प्रशासन से आग्रह किया है की जो भवन खंडहर बन चुका है उसका निर्माण कार्य पूरा किया जाए ताकि वहां पर इस आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी को शुरू किया जा सके और यहां बसने बाली दोनों पंचायतों के लोगों को इसकी सुविधा मिल सकें।