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Bilaspur : गर्मिया ते बाद हूण सर्दियां आई, सबी जो नवें साला री नवीं बधाई

Dalhousie Hulchul
Bilaspur
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Bilaspur :  डलहौज़ी हलचल (Bilaspur ) : महर्षि व्यास की तपोभूमि और बाबा बंगाली और काले बाबा की कर्म स्थली नगर से सटे लुहनू मैदान और सतलुज नदी के किनारे रमणीक स्थल पर स्थित ज़िला बिलासपुर (Bilaspur) के प्रथम निजी विद्यालय बिलासपुर (Bilaspur ) पब्लिक स्कूल के तृतीय तल के सभागार में जब कल्याण कला मंच के कलाकारों ने वाद्य यंत्रों के साथ अपनी प्रस्तुतियां दी तो दूर-दूर सतलुज नदी पार तक के लोग आनंदित हुए बिना नहीं रह सके ।

संगोष्ठी की द्वितीय सत्र की अध्यक्षता शिक्षाविद् पूर्व प्रधानाचार्य जीत राम सुमन ने की जब की मंच की हास्य कवयित्री वीना वर्धन में सुंदर मंच संचालन किया । मां शारदा को नमन करते हुए आचार्य जगदीश सहोता ने मैं और मेरी छोड़ दे बंदे खाली हाथ आया तू खाली हाथ जाएगा सुना कर गरूर न करने का आह्वान किया ।

तत्पश्चात युवा चित्रकार एवं कवि राकेश मन्हास ने जब पंचम स्वर में ज्यूं निकली ईक बूंद बादलों से आई देख मेरे भाग्य में है क्या सुनाई तो श्रोता हैरान रह गए , रौड़ा सेक्टर के सुशील पुन्डीर परिंदा ने जिंदा होने की सार्थकता यूं ब्यान कि हऊं जिंयूदा पर मिंजो ए ई पता नी कि पई अऊं जियूंदा श्रोताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया , प्रबंधक चंद्रशेखर पंत ने हिंदू बना लो मुसलमान बना लो पर धरा पर पहले इंसान बना लो सुनकर सभी को पहले इंसान बनने का आह्वान किया ।

 दनोह के सेवानिवृत्त शिक्षक रवींद्र शर्मा ने लोगों की सरकार से गुहार कि इन किलों का भी कुछ करो सुधार सुना कर सरकार का ध्यान जीर्ण – शीर्ण किलों की तरफ खींचा , पंडोखर की कवयित्री पूनम शर्मा ने भई आई गया हयूंद सेहत खूब बनाई लो स्याले स्वाद स्वाद खाई लो सुनाकर सर्दियों का विवरण रखा , ।

घुमारवीं के जाने-माने पहाड़ी कवि कलाकार लश्करी राम ने अपने अंदाज में सुनाया चुठीयां गल्ला च लोको कदी नी औणा न कदी पौणा , युवा गायिका पूजा ने माए नी मेरिए जमूऐ दी राहें चंबा कितनी क दूर , भजवाणी की आशा कुमारी ने मां-बाप ने लड्डू खूब बंटवाए थे ढोल नगाड़े भी बजवाए थे , देवली की वयोवृद्ध चिंता भारद्वाज ने सुंदर भजन घिस घिस चंदन भरी ए कटोरी तिलक लगाणा कुंज गली में सुरीली आवाज में गाया ।

रौड़ा के 82 वर्षीय रामपाल डोगरा ने दिसदे सारे खा सूक्के पहाड़ बिरला ए ही सुजदे हरे भरे डाल कविता में पर्यावरण संतुलन पर चिंता प्रकट की , सुरेंद्र मिन्हास ने लम्फा री लोई ने सारा होमवर्क मुकान्दा ता बी सारी जमांता च फर्स्ट था आंदा , रविंद्र चंदेल कमल ने शीत ऋतु की शीतल हवाएं तन को मेरे चुभती जाए , लेफ्टिनेंट डॉ.जय महलवाल ने गर्मियां ते बाद हूण सर्दियां आई सबी जो नवें साला री नवीं बधाई , इसके इलावा विशाल चंदेल , कुशल रानी , गायत्री देवी भी गोष्ठी में उपस्थित रहें ।

अतिथि कवयित्री जसूर की प्रतिभा शर्मा ने सबके अपने सुख-दुख होते हैं सुंदर कविता सुनाई , अतिथि कवि अनिल शर्मा नील ने हर आंख में बढ़ गया है अब दृष्टिकोण कविता से एक प्रश्न छोड़ा , मंच संचालन कर रही वीना वर्धन ने हर पल न्यालदी तिज्जो ता जे तू बिन्दरा बणा जो जान्दा कान्हा , कार्यक्रम के अध्यक्ष जीतराम सुमन ने सभी प्रस्तुतियों की उत्कृष्टता की प्रशंसा की तथा अपनी रचना यूं कही बाटा रा पत्थर आऊं बाटा च ई गडोई रैन्दा आंदे जांदे माणुआ रे पैरा च दबोई रैंदा ।

अंत में मंच के प्रधान सुरेंद्र सिंह मिन्हास ने उपस्थित सभी साहित्यकारों का आभार व्यक्त किया ।

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है।