डलहौजी हलचल (चंबा): कुत्तों की वफादारी के किस्से तो अक्सर सुनने को मिलते हैं, लेकिन चंबा जिले के जुम्हार धार इलाके में घटी इस घटना ने साबित कर दिया कि बैल भी अपने मालिक की रक्षा के लिए जान की बाज़ी लगा सकते हैं। शुक्रवार रात हुई इस अनोखी घटना में, दो बैलों ने एक खूंखार भालू से टक्कर लेकर अपने मालिक नूर जमाल की जान बचाई, जो भेड़पालक हैं। इस साहसिक कार्य से बैलों ने वफादारी का एक नया उदाहरण पेश किया है।
भालू के हमले के दौरान बैलों ने दिखाई बहादुरी
जुम्हार धार में रहने वाले नूर जमाल (75) अपने पोते हासम (14) के साथ कोठे (पत्थर, मिट्टी और लकड़ी से बना मकान) में सो रहे थे, तभी देर रात 11:30 बजे एक भालू ने अचानक उन पर हमला कर दिया। भालू ने नूर जमाल को उनके घर से घसीटकर बाहर निकालने की कोशिश की। जैसे ही बाहर बंधे उनके बैलों ने अपने मालिक को खतरे में देखा, वे खूंटा उखाड़कर भालू पर टूट पड़े।
दोनों बैलों ने अपनी सींगों से जोरदार प्रहार कर भालू को जमीन पर पटक दिया। बैलों के हमले से घबराया भालू वहां से भागने को मजबूर हो गया। इस साहसी घटना में नूर जमाल की जान बच गई, हालांकि उन्हें चेहरे और पीठ पर गंभीर चोटें आईं, जिनका इलाज चंबा मेडिकल कॉलेज में चल रहा है।
नूर जमाल के पोते हासम ने बताया, “अगर हमारे बैल समय पर भालू से नहीं भिड़ते, तो वह दादा को और गंभीर रूप से घायल कर सकता था। दोनों बैलों ने न सिर्फ भालू को गिराया, बल्कि उसे लगभग 50 मीटर दूर तक दौड़ा दिया।” हासम की यह बात साबित करती है कि बैलों की वफादारी और साहस के बिना यह हादसा और भी खतरनाक हो सकता था।
मुआवजे की मांग
इस साहसी घटना के बाद स्थानीय लोगों में बैलों की वफादारी की चर्चा हो रही है। पल्यूर पंचायत के उप प्रधान मोहम्मद हुसैन ने वन विभाग से इस घटना में नूर जमाल को उचित मुआवजा देने की मांग की है। उन्होंने कहा, “बैल अपने मालिक के सच्चे रक्षक साबित हुए हैं। अगर वे न होते, तो नूर जमाल की जान पर भारी खतरा आ सकता था।”
चंबा जिले के इस अनोखे घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया कि वफादारी सिर्फ कुत्तों तक सीमित नहीं है। बैल भी अपने मालिक के प्रति उतने ही वफादार और निस्वार्थ होते हैं, और समय आने पर वे अपनी जान की परवाह किए बिना उनके बचाव में खड़े हो जाते हैं।