डलहौजी हलचल (शिमला) : हिमाचल प्रदेश में एचआरटीसी बस में विपक्षी नेताओं, विशेषकर राहुल गांधी के खिलाफ कथित ऑडियो प्रसारण के मामले ने राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है। इस मुद्दे पर विपक्ष ने सुक्खू सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया है कि सरकार छोटी-छोटी बातों को लेकर कर्मचारियों को परेशान कर रही है।
क्या है मामला?
शिमला से संजौली रूट पर चल रही एक एचआरटीसी बस में 5 नवंबर को तेज आवाज में एक ऑडियो प्रोग्राम चलाने की शिकायत सामने आई थी। इस ऑडियो में राहुल गांधी और विपक्षी नेताओं के खिलाफ कथित तौर पर दुष्प्रचार किया जा रहा था। शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री कार्यालय में शिकायत दर्ज करवाई, जिसके बाद एचआरटीसी प्रबंधन ने बस के चालक और परिचालक से स्पष्टीकरण मांगा और जांच शुरू की।
हालांकि, एचआरटीसी के उप-मंडलीय प्रबंधक कार्यालय ने स्पष्ट किया है कि प्रारंभिक जांच में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिससे यह घटना साबित हो सके। साथ ही, चालक और परिचालक द्वारा दिए गए जवाब को संतोषजनक पाया गया, और उनकी भूमिका को लेकर जारी स्पष्टीकरण को निरस्त कर दिया गया है।
भाजपा ने साधा निशाना
भाजपा ने इस मामले को लेकर कांग्रेस सरकार पर तीखे हमले किए हैं। पूर्व मंत्री सुखराम चौधरी ने कहा कि कांग्रेस सरकार “एक परिवार की भक्ति” में अंधी हो गई है और छोटे कर्मचारियों को बेवजह निशाना बना रही है। उधर भाजपा विधायक सुधीर शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार जनहित के मुद्दों पर कार्रवाई करने के बजाय ऐसी अनावश्यक जांचें बिठा रही है, जिससे प्रदेश की छवि को नुकसान हो रहा है।
एचआरटीसी प्रबंधन का क्या है कहना
एचआरटीसी प्रबंधन ने कहा है कि शिकायत के आधार पर प्रारंभिक जांच की गई थी। जांच में शिकायतकर्ता द्वारा कोई ठोस सबूत नहीं दिया गया, और घटना को प्रमाणित करने वाली कोई जानकारी नहीं मिली। इसके चलते जांच को बंद कर दिया गया है।
राजनीतिक विवाद का विस्तार
यह मामला हिमाचल में हाल ही में “समोसा कांड” के बाद आया है, जिसने पहले ही सरकार और विपक्ष के बीच खींचतान बढ़ा दी थी। भाजपा ने इसे कांग्रेस सरकार की “दमनकारी नीतियों” का एक और उदाहरण बताया, जबकि कांग्रेस ने इसे राजनीति से प्रेरित मुद्दा करार दिया है। इस घटना को लेकर जनता और एचआरटीसी कर्मचारियों में चर्चा का माहौल गर्म है। कई लोगों ने इसे “मामूली घटना को तूल देने” की कोशिश बताया, जबकि कुछ ने इसे राजनीतिकरण का परिणाम माना।