डलहौज़ी हलचल (विशेष रिपोर्ट)भूषण गुरंग : डलहौज़ी हलचल के संपादक भूषण गुरंग ने हाल ही में महाराष्ट्र स्थित शिरडी का आध्यात्मिक दौरा किया। इस यात्रा के दौरान उन्होंने साईं बाबा की समाधि स्थल, ऐतिहासिक नीम के पेड़ और शिरडी के ट्रस्ट द्वारा संचालित भक्त सेवाओं का अनुभव किया।
भूषण गुरंग ने बताया कि शिरडी, जिसे साईं बाबा की कृपा का केंद्र माना जाता है, अपनी आध्यात्मिक शांति और दिव्यता के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। बाबा के जीवन और चमत्कारों से जुड़ी कई कहानियों को सुनने और अनुभव करने का अवसर इस यात्रा के दौरान उन्हें मिला।
साईं समाधि स्थल पर ध्यान और आरती
संपादक भूषण गुरंग ने साईं समाधि स्थल पर आयोजित आरती में भाग लिया। उन्होंने बताया कि यह आरती न केवल भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देती है, बल्कि एक अनोखा अनुभव भी प्रदान करती है। समाधि स्थल पर होने वाली सुबह और शाम की आरती में हजारों भक्त शामिल होते हैं, जो वहां की भव्यता और शांति को और बढ़ा देते हैं।
नीम का पेड़ और बाबा का चमत्कार
भूषण गुरंग ने शिरडी में स्थित नीम के पेड़ का भी दौरा किया, जो बाबा के चमत्कारों का प्रतीक माना जाता है। उन्होंने बताया कि यह वही स्थान है, जहां बाबा ने अपने प्रारंभिक दिन बिताए थे। यह नीम का पेड़ आज भी बाबा की कृपा के कारण विशेष महत्व रखता है।
भक्तों के लिए उत्कृष्ट सेवाएं
संपादक ने शिरडी ट्रस्ट द्वारा संचालित लंगर और भक्त निवास की व्यवस्थाओं की भी सराहना की। उन्होंने बताया कि ट्रस्ट द्वारा न केवल ठहरने की उचित व्यवस्था की गई है, बल्कि हजारों भक्तों के लिए प्रतिदिन निशुल्क भोजन भी परोसा जाता है।
भूषण गुरंग की विशेष टिप्पणी
अपनी यात्रा के अनुभव साझा करते हुए भूषण गुरंग ने कहा,
“शिरडी न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह आस्था, शांति और प्रेरणा का केंद्र भी है। साईं बाबा की शिक्षाएं और उनकी करुणा मानवता के लिए आज भी प्रासंगिक हैं। यह यात्रा मेरे लिए आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत समृद्ध रही।”
साईं बाबा का संदेश: मानवता का धर्म सबसे बड़ा धर्म
शिरडी की इस यात्रा ने संपादक भूषण गुरंग को बाबा के इस संदेश को गहराई से समझने का मौका दिया कि मानवता और सेवा का धर्म सबसे बड़ा धर्म है।