डलहौजी हलचल (शिमला) : शिमला स्थित राजभवन में नागालैंड और असम के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने दोनों राज्यों की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और भारत के विकास में उनके योगदान की सराहना की। कार्यक्रम में राज्यपाल की पत्नी जानकी शुक्ला और सचिव सी. पी. वर्मा भी उपस्थित रहे।
भारत की ताकत है उसकी विविधता और एकता: राज्यपाल
अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि भारत की असली ताकत उसकी विविधता और एकता में है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विभिन्न राज्यों की संस्कृतियों और परंपराओं का अनुभव करना राज्यों के बीच आपसी समझ और संबंधों को मजबूत करता है। यह ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के दृष्टिकोण को साकार करने का एक प्रभावी माध्यम है।
असम: प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध परंपराओं का प्रतीक
राज्यपाल ने असम की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह राज्य अपनी प्राकृतिक सुंदरता, चाय बागानों, रेशम उत्पादन और पारंपरिक कला व शिल्प के लिए प्रसिद्ध है। उन्होंने बताया कि असम के धार्मिक और पर्यटन स्थल देश-विदेश के यात्रियों को आकर्षित करते हैं और राज्य की सांस्कृतिक समृद्धि को उजागर करते हैं।
नागालैंड: साहस और पर्यावरण संरक्षण का राज्य
नागालैंड के योगदान का उल्लेख करते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह राज्य अपनी अनूठी संस्कृति, साहस और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता के लिए जाना जाता है। उन्होंने नागालैंड के लोगों के देशभक्ति और सांस्कृतिक योगदान की सराहना करते हुए कहा कि यह राज्य भारत की विविधता और समृद्धि को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है।
स्थानीय संस्कृति का सम्मान
कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने नागालैंड और असम के प्रतिनिधियों को हिमाचली टोपी और शाल पहनाकर सम्मानित किया। यह सम्मान भारत के विभिन्न राज्यों के बीच आपसी सौहार्द और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने का प्रतीक था।
‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के विचार को बल
राज्यपाल ने कहा कि इस तरह के आयोजनों से राज्यों के बीच बेहतर संबंध बनते हैं और भारत की एकता व अखंडता को सुदृढ़ करने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि उत्तर-पूर्वी राज्यों की अनूठी संस्कृति और परंपराएं भारत को एकता के सूत्र में बांधती हैं।
अधिकारियों और गणमान्य लोगों की उपस्थिति
कार्यक्रम में राजभवन के अन्य अधिकारी, नागालैंड और असम के निवासी तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। इस आयोजन ने भारत की सांस्कृतिक विविधता का उत्सव मनाने और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के विचार को साकार करने की दिशा में एक और कदम बढ़ाया।