डलहौज़ी हलचल (चंबा) साहिल शर्मा : सिर पर टोपी और अपनी पारंपरिक भेष भूषा से सुशोभित यह है हिमाचल प्रदेश के जिला लाहौल स्पीति के श्रद्धालु, जोकि हर वर्ष भगवान भोले नाथ के कैलाश मानसरोवर दर्शनों को आते है और कई दिनों की लंबी इस पवित्र यात्रा को अपने सगे संबंधियों के साथ पैदल ही करते है। चंबा के ऐतिहासिक चौगान में पहुंचे इन श्रद्धालुओं ने अपनी इस मणिमहेश यात्रा के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि हम लोग हिमाचल प्रदेश के जिला लाहौल स्पीति से आए है और 6 दिनों की पैदल यात्रा करने के बाद हमारा ये जत्था आज चंबा पहुंचा है।
उन्होंने बताया कि हम सभी श्रद्धालु लोग पड़ाव दर पड़ाव यात्रा करते हुए मणिमहेश पहुंचे और आज छठे दिन हम सभी लोगों ने माता भरमाणी और चौरासी भरमौर में सभी मंदिरों के दर्शन करते हुए यह यात्रा संपूर्ण कर ली है और आज चंबा पहुंचे है। चंबा में श्री लक्ष्मी नारायण भगवान के दर्शनों को करने के उपरांत अपने घरों को वापिस लौटेंगे। इस यात्रा को लेकर उन्होंने अपनी अनुभूति भी स्पष्ट की और कहा कि भले ही यह यात्रा कठिन हो पर भगवान के प्रति दिल में श्रद्धा और विश्वास भरा हो तो कोई भी कार्य संभव हो सकता है।
उन्होंने बताया की जिला लाहौल स्पीति से कुल मिलाकर 2 सौ श्रद्धालुओं का जत्था मणिमहेश यात्रा को निकला था जिसमे कुछ लोग गाड़ियों में चले गए थे, पर इनमे 152, लोग जिनमे महिलाएं भी शामिल हैं जिन्होंने कि एक साथ इकट्ठे चलते हुए इस पवित्र यात्रा को किया। इन लोगों ने बताया कि अभी हम लोग चंबा पहुंचे है और अब हम लोग भगवान लक्ष्मी नारायण के दर्शन करेंगे और तत्पश्चात यहां से निशानी के तौर पर कुछ सोने , चांदी की खरीदारी करेंगे और उसके बाद अपने अपने घरों को वापिस लोट जायेंगे।