Main Atal Hoon Review: डलहौज़ी हलचल : बॉलीवुड का बायोपिक से बहुत पुराना नाता है..। राजनीति पर कोई भी फिल्म बनाने को निर्माता तुरंत तैयार होते हैं..। हाल की कुछ फिल्में नरेंद्र मोदी पर केंद्रित रह चुकी हैं…।
बालासाहेब ठाकरे पर भी एक फिल्म आ गई है..। हमने पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की जीवनी पर भी एक फिल्म देख ली है…। लेकिन तीनों फिल्मों में एक बात थी जो मिलती-जुलती थी…। दर्शकों को कोई भी फिल्म ज्यादा नहीं भा पाई ..। इन फिल्मों में से कोई भी फिल्म हिट नहीं हुई ..।. अब अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी को लेकर पंकज त्रिपाठी हमारे सामने प्रस्तुत कर रहे हैं…। भारत रत्न, देश के पूर्व प्रधानमंत्री, बीजेपी के सबसे प्रभावशाली नेता को लेकर क्या पंकज त्रिपाठी अपनी फिल्म में सफल रहे हैं? आपको आइये आपको बताते हैं ..
Main Atal Hoon Review || देखिये क्या है इस फिल्म की कहानी
फिल्म ‘मैं अटल हूं’ एक मराठी पुस्तक से प्रेरित है, जिसमें बताए गए सभी किस्से इस फिल्म में भी हैं। इसके अलावा, फिल्म निर्माताओं ने अटल बिहारी वाजपेयी को लेकर सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध जानकारी का भी भरपूर उपयोग किया है। फिल्म में आपको अटल बिहारी वाजपेयी का प्रारंभिक जीवन और उनका भाषण प्रेम देखने को मिलेगा । बाद में उनकी भूमिका और RSS में उनका प्रवेश कैसे हुआ..।कारगिल युद्ध और परमाणु परीक्षण जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों के आलावा उनका राजनीतिक प्रवेश शामिल है ।
यानी अटल बिहारी वाजपेयी की पूरी जिंदगी दिखाई गई है। जब कोई निर्देशक बायोपिक बनाने का निर्णय लेता है, उसके सामने सबसे बड़ा मुद्दा ये रहता है कि इनफॉरमेशन को अलग तरह से कैसे दिखाया जाए। अब अटल बिहारी वाजपेयी की बात करें तो उनकी जीवनी की पूरी जानकारी गूगल पर उपलब्ध है। मीडिया में अनसुनी कहानियां भी आ चुकी हैं, इसलिए निर्देशकों को पता लगाना था कि क्या वे कुछ अलग या कहना चाहिए अधिक दिलचस्प तरीके से दिखा सकते हैं।
फिल्म का एक अच्छा पक्ष यह है कि यह अटल बिहारी वाजपेयी की पूरी जीवनी को विस्तृत रूप से बतया गया है। फ्लैशबैक सीन में छोटे अटल ताज महल में कविता बोलते हैं। धीरे-धीरे बच्चा बड़ा हो जाता है और एक दिन एक इमारत में छुपके से चढ़कर इंग्लैंड के झंडे से भारत का झंडा बदल देता है। वाजपेयी, राष्ट्रीय सेवा संघ (RSS) के सबसे तेज मेंबरों में से एक थे, जो अपनी कार्रवाई में व्यापक बदलाव चाहते थे।
फिल्म में कई महत्वपूर्ण घटनाएं दिखाई गई हैं जैसे 1953 में कश्मीर पर हमला, 1962 में चाइना युद्ध, 1963 में पाकिस्तान से लड़ाई और 1975 में आपातकाल। इन घटनाओं को फिल्म में दिखाना जरूरी था, लेकिन इससे फिल्म थोड़ी धीमी हो गई। फिल्म के दूसरे दौर में, कारगिल युद्ध, दिल्ली से पाकिस्तान बस सेवा और पोखरण टेस्ट के बाद न्यूक्लियर पावर बनना शामिल थे। निर्देशक ने सब कुछ 2 घंटे 19 मिनट में दिखाने का प्रयास किया है।
Main Atal Hoon Review || पंकज का शानदार अभिनय
इस फिल्मे में पंकज ने शानदार अभिनय का प्रदर्शन किया है। वह स्क्रीन पर आते हैं तो आप अपनी पलकें झपका नहीं पाएंगे। पंकज ने अटल बिहारी वाजपेयी के दिखने और बोलने दोनों को बेहतरीन ढंग से प्रदर्शित किया है । कभी-कभी आपको लगता है कि अटल बिहारी रियल में स्क्रीन पर नजर आ रहे हैं। पूरी फिल्म में एक सीन है जहां पंकज रामलीला मैदान में भाषण देते हैं और बारिश हो रही है। यह फिल्म का सर्वश्रेष्ठ सीन है।
फिल्म में अटल बिहारी वाजपेयी के पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी का किरदार पीयूष मिश्रा ने निभाया है। उन्होंने अपनी परफॉर्मेंस से दर्शकों का दिल जीत लिया है, भले ही उन्हें स्क्रीन पर बहुत कम समय मिला है । पिताजी और बेटे का सीन आपको पसंद आएगा। राजा रामेशकुमार सेवक-एल के अडवाणी और गौरी सुख्तांकर-सुष्मा स्वराज के किरदार में अच्छे दिखे हैं ।
यह फिल्म आपको अटल बिहारी वाजपेयी, जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बारे में बहुत कुछ बताती है। इसके अलावा, ब्लैक एंड व्हाइट में पास्ट घटनाओं को दिखाया गया लगता है कि वे काफी असली हैं। कुल मिलाकर, अटल बिहारी वाजपेयी की जर्नी को प्रदर्शित करने का उत्कृष्ट प्रयास है। लेकिन पंकज त्रिपाठी के अभिनय को सारा श्रेय जाता है।